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कर्ज साँसों का ज़िन्दगी ने लिया(गजल)


*श्रीमती भारती शर्मा*

लुत्फ़ आता है क्यूँ सताने में
उम्र ढल जाये ना मनाने में

किस्सा-ए-ज़िन्दगी जो छेड़ो तो
ज़िक्र मेरा भी हो फसाने में

वक़्त लग जायेगा अभी हमको
दिल की बस्ती नयी बसाने में

कर्ज साँसों का ज़िन्दगी ने लिया
उम्र ढलती रही चुकाने में

बेबसी, बेरुखी औ' तनहाई
है बहुत कुछ मेरे ख़जाने में

खुद से बिछड़ी थी तुझसे मिल के मैं
खो गया तू भी इस ज़माने में

 


*श्रीमती भारती शर्मा,स्ट्रीट-2, चन्द्रविहार काॅलोनी (नगला  डालचन्द) क्वारसी बायपास, अलीगढ़-202001 (उ.प्र.)

मो. 8630176757 


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