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जो जैसा होगा (लघुकथा)

 

 *कोमल वाधवानी 'प्रेरणा'*

 सुबह-सुबह घर के पोर्च में अखबार लेने आए सोसायटी के सेक्रेटरी की नींद से उनींदी नज़र अपने मेनगेट के बाहर मरे पड़े पिल्ले पर गई। लगता था रात किसी गाड़ी से टक्कर हो गई खा झट से डंडा उठाया और उसे सामने वाले बंगले की ओर ऐसे फेंका जैसे किक्रेट की गेंद।                                               

सामने वाले बंगले के लान में मोहनभाई अखबार पढ़ रहे था।आवाज़ सुन उनका ध्यान भंग हुआ।सामने सेकेटरी महोदय को देखकर माजरा उनकी समझ में आ गया।मार्निंग वॉक पर जाते समय उन्होंने भी उस मरे पिल्ले को देखा था।वे पुनः अपना पेपर पढ़ने में लीन हो गए।                                     

मोहनभाई के पास वाले बंगले में केसरबेन झूले पर बैठी यह नजारा देख रही थी,किंतु कुछ कह न सकी।पिल्ला उनके गेट पर तो फेंका नहीं गया था।सेकेटरी के अंदर जाते ही केसरबेन ने मोहनभाई का ध्यान इस बात की ओर खींचा,"अरे ! उसने इतनी बतमीजी से आपके दरवाजे पर उस मरे पिल्ले को फेंका,फिर भी आप चुप रहे।"                                                                    मोहनभाई ने बड़ी शांति से उत्तर दिया, "केसरबेन,जो जैसा होगा,वो वैसा ही करेगा।"और भीतर चले गए नगर निगम को फ़ोन लगाने।    

 

 *कोमल वाधवानी 'प्रेरणा'"शिवनंदन" 595 वैशाली नगर(सेेठीनगर),उज्जैन मो.9424014477

 


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