जहर से इश्क हो गया
अब क्या करे,
संग जीना चाहे
या दूर चले जाये
हम ही जिदां मरे,
वो सादगी की किताब थी
जो भी बहुत हिसाब थी
यू समझो कांटो में गुलाब थी,
उनके नाम की फना हुये
वो हमें कुछ ना समझे
एक इशारो में खो गया,
अब क्या करे
जहर से इश्क हो गया।।
*अभिषेक राज शर्मा,पिलकिछा जौनपुर उप्र०,मो. 8115130965
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