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देश की समस्याओं का निराकरण आपसी सद्भाव से ही संभव है


डॉ. शिवमंगल सिंह 'सुमन' स्मृति सप्तदश अ.भा. सद्भावना व्याख्यान माला के तृतीय दिवस पर हाजी श्री अरशान खान का व्याख्यान



उज्जैन।(डॉ. गिरीश पण्ड्या) आजादी के बाद भी आज देश कई ज्वलंत समस्याओं से जुझ रहा है। जिन लोगों ने देश की आजदी में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है उन्हें समाज की मुख्य धारा में होना चाहिए था किन्तु वही लोग संघर्षो के साथ जी रहे है। देश को जोड़ने वाले विचारों को अपनाना होगा। समाज का विकास एक साथ मिलकर चलने से ही संभव होगा। देश की सभी समस्याओं का निराकरण परस्पर सद्भाव में ही निहित है। सरकारों को चाहिए कि समस्याओं की प्राथमिताऐं तय करें। जिन समस्याओं का संबंध आम व्यक्ति से है उनका निराकरण जल्द से जल्द होना आवश्यक है। समाज का विकास तभी संभव होगा जब हम शिक्षा रोजगार, भाईचारें जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान दे। उक्त विचार राष्ट्रीय कार्यकारिणी अल्पसंख्यक विभाग नई दिल्ली के सदस्य हाजी श्री अरशान खान ने भारतीय ज्ञानपीठ में आयोजित कवि कुलगुरू डॉ. शिवमंगल सिंह 'सुमन' स्मृति सप्तदश अ.भा. सद्भावना व्याख्यान माला के तृतीय दिवस पर 'देश की ज्वलंत समस्यायें, कारण एवं निवारण' विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किये। हाजी श्री अरशान खान ने कहा कि हमारे देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। खास बात यह है कि अधिकांश प्रतिभाऐं ऐसे शहर या ऐसे घर से निकल रहीं है जो अभावों में जी रहे है। हमे प्रयास करना चाहिए कि इन प्रतिभाओं को संपूर्ण अवसर प्राप्त हो सके।



अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कोटा से पधारे वरिष्ठ अधिवक्ता एवं दैनिक जननायक के पूर्व संपादक श्री अख्तर खान 'अकेला' ने 'सोशल मीडिया का महत्व' विषय पर कहा कि दो व्यक्तियों का संवाद जब समाज तक पहुंचता है तो यह अपने आप में सोशल मीडिया की देन है। सोशल मीडिया एक दोधारी तलवार है जिसके अपने सकारात्मक पक्ष भी है और नकारात्मक पक्ष भी। जहां एक ओर सोशल मीडिया हमारी आत्मरक्षा कर सकता है या शिक्षा का प्रसार कर सकता है तो वहीं यदि हम जागरूक न रहें तो सोशल मीडिया अपराध या आपसी द्वेष भी बढ़ा सकता है। ऐसे में हमारी भूमिकाऐं महत्वपूर्ण हो जाती है कि हम इसका उपयोग उचित रूप से करें। हमे चाहिए कि हम दूर स्थित किसी प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान में प्रसारित होने वाले ज्ञान को दूर दराज के छोटे से छोटे कस्बे में रहने वाले प्रत्येक विद्यार्थी तक पहुंचाकर इसका सदुपयोग करें, साथ ही हमारा फर्ज है कि हम परस्पर द्वेष फैलाने वाले किसी भी संदेश को प्रसारित न करें। महाभारत काल से ही सोशल मीडिया का रूप हमें देखने को मिला है जब अभिमन्यु ने पिता और माता का संवाद अपने जन्म से पूर्व ही सुन लिया था। महाभारत में ही संजय द्वारा युद्ध भूमि का वर्णन जब धृतराष्ट्र को सुनाया तो यह भी सोशल मीडिया का ही एक रूप था।

स्वागत उद्बोधन संस्था व्याख्यानमाला समिति के सचिव इंजी. सरफराज कुरैशी ने दिया। अतिथि परिचय श्री नईम खान ने दिया। व्याख्यानमाला के आरंभ में संस्था की छात्राओं ने सर्वधर्म प्रार्थना प्रस्तुत की। अतिथि स्वागत राजस्थान उच्च न्यायालय के एडव्होकेट्स श्री रामगोपाल चतुर्वेदी, श्री मुकेश सेन, श्री नरेन्द्र नारायण शर्मा, श्री कोशल शर्मा, भोपाल नवाब मुमताज अहमद खान, दिल्ली के श्री अमन खान, श्री मयंक काले, श्री क्रांति कुमार वैद्य, श्री प्रकाश खण्डेलवाल, श्री सतीश श्रीवास्तव, डॉ. आर. के. नागर, श्री अभिमन्यु त्रिवेदी एवं श्री ओमप्रकाश कुमायु ने किया।

इस अवसर पर वक्ताओं का शाल और श्रीफल से सम्मान किया गया। संचालन विद्यालयीन शिक्षिका श्रीमती प्रियंका शेवलकर ने किया। आभार विद्यालयीन निदेशक डॉ तनुजा कदरे ने माना।

अ.भा. सद्भावना व्याख्यानमाला में कल दिनांक 29 सितम्बर 2019 रविवार के आयोजन
1.    गांधी शांति यात्रा का भारतीय ज्ञानपीठ में प्रवेश सांय 4 बजे।
2.    सप्तदश अ.भा. सद्भावना व्याख्यानमाला दिनांक 29 सितम्बर 2019 को सांय 5 बजे से गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता (महाराष्ट्र) श्री प्रकाश आर. अर्जुनवार  'महात्मा गांधी की सद्भावना और भविष्य' विषय पर अपना व्याख्यान देंगे।



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