म.प्र. साहित्य अकादमी भोपाल द्वारा नारदमुनि पुरस्कार से अलंकृत

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जयंती पर काव्यांजलि आयोजित


उज्जैन। मौन ही भावना की भाषा होती है मगर कवि अपनी कल्पना और विशिष्ट शैली से जीवन के रंगों को समाज के सामने अपनी रचनाओं से व्यक्त करता है। यह कवि ही है जो ऋणात्मकता में भी सकारात्मकता खोज लेता है।

ये विचार राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जयंती पर साहित्यिक संस्था गजलान्जलि द्वारा आयोजित काव्यांजलि में बर्मिंघम ,इंग्लैंड से पधारी साहित्यकार और कवयित्री डॉ. वंदना मुकेश ने मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये। आपने कहा कि उज्जैन मेरी शिक्षा भूमि रही है और आप सभी को सुनना मेरा सौभाग्य है।काव्यांजलि के सारस्वत अतिथि प्रो.गोपाल शर्मा, विशेष अतिथि प्रो.शिव चौरसिया, विशिष्ठ अतिथि डॉ. श्रीकृष्ण जोशी रहे और अध्यक्षता प्रो. हरिमोहन बुधौलिया ने की।

काव्यांजलि में डॉ. अखिलेश चौरे अखिल ने 'कठिन पहेली बन जाती है कभी कभी, हमें जिन्दगी भटकाती है कभी कभी, आशीष श्रीवास्तव अश्क ने ‘हमारा भी दिल होता पत्थर के जैसा, तेरे इश्क ने ही बचाया बहुत है, प्रफुल्ल शुक्ल ने ‘दूर देश में वह बैठा है, अपना खर्च चलाने को, बड़ी पढ़ाई करके भागा, बेटा बहुत कमाने को पढ़कर तालियाँ पाईं। शायर आरिफ अफजल खान ने ‘हम सच्चा संत, सच्चा फकीर ढूंढते हैं, रसखान ढूंढते हैं कबीर ढूंढते है' , दिलीप जैन ने ‘टूटता है ख्वाब कोई आईने सा , हर किरण में मैं अपना बिम्ब पाता हूँ'और शायर अशोक रक्ताले ने ‘भीगे भीगे दिन हुए सीली सीली रात , डोल रही उन्मुक्त सी सावन सी बरसात' पढ़कर प्रशंसा पाई। काव्यांजलि में संतोष सुपेकर, आर पी तिवारी, विनोद काबरा, विजय सिंह गहलोत, अक्षय चवरे, रामदास मेढेकर, सत्यनारायण नाटानी, सूरज नागर, अवधेश वर्मा, श्रीकृष्ण गुप्ता, शिव चौरसिया, शैलेन्द्र पाराशर, डॉ. हरीशकुमार सिंह, वंदना मुकेश आदि ने भी काव्यपाठ किया।

काव्यांजलि में साहित्य मंथन के पूर्व अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार आचार्य प्रो. शैलेन्द्र पाराशर ने मुख्य अतिथि श्रीमती वंदना मुकेश को देश के 84 साहित्यकारों के संकलन रसमंथन की प्रति भेंट की और वंदना मुकेश का विशिष्ट सम्मान उपस्थित साहित्यकारों ने किया। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार डॉ. संदीप कुलश्रेष्ठ, डॉ. क्षमाशील मिश्र, नवीन शर्मा सहित कई साहित्यकार उपस्थित रहे। काव्यांजली का सञ्चालन डॉ. हरीशकुमार सिंह ने किया और आभार संतोष सुपेकर ने व्यक्त किया।

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