विश्व में हिंदी पत्रकारिता का बढ़ता प्रभाव पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ
भोपाल । राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा विश्व में हिंदी पत्रकारिता का बढ़ता प्रभाव पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो करुणाशंकर उपाध्याय थे। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलानुशासक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, विशिष्ट अतिथि डॉ जवाहर कर्नावट, भोपाल, श्री महेश सक्सेना, भोपाल, डॉ ब्रजकिशोर शर्मा, श्री हरेराम वाजपेयी, इंदौर, डॉ प्रभु चौधरी ने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर भारत माता अलंकरण के साथ अतिथियों द्वारा संचेतना समाचार के विशेषांक का लोकार्पण किया गया। अखिल भारतीय कवयित्री सम्मेलन की महासचिव एवं कर्नाटक की हिंदी सेवी डॉ जी एस सरोजा शिवमोगा एवं समूह द्वारा राजभाषा संघर्ष समिति की ओर से मैसूर पगड़ी - पेटा, मौक्तिक माल, प्रतीक चिन्ह, रक्षा सूत्र और साहित्य भेंट कर प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, श्री ब्रजकिशोर शर्मा एवं डॉ प्रभु चौधरी का सारस्वत सम्मान किया गया।
मुख्य वक्ता कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने कहा कि विश्व के अनेक देशों में हिंदी पत्रकारिता केवल कुछ पत्र पत्रिकाओं के प्रकाशन तक सीमित नहीं रही। वह भारतवंशियों के सुख - दुख की आवाज भी बनी। विश्व पटल पर हिंदी पत्रकारिता का इतिहास भारतवंशियों के संघर्ष, पीड़ा और सुखद प्रतिष्ठा की यात्रा का जीवन्त दस्तावेज है। विदेशों में हिंदी पत्रकारिता का विकास प्रवासी भारतीयों की अपनी जड़ों और संस्कृति से जुड़ाव की इच्छा का परिणाम है। हिंदी भाषी समुदायों ने विभिन्न देशों में पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से अपनी सामाजिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति को बनाए रखा है।
मुख्य अतिथि प्रो करुणाशंकर उपाध्याय, मुंबई ने कहा कि हमारे बीच भाषा को लेकर स्वाभिमान की कमी है। हिंदी अनेक क्षेत्रों में रोजगार को आधार दे रही है। दुनिया में सर्वाधिक संख्या में लोग प्रथम या द्वितीय भाषा के रूप में हिंदी का प्रयोग करते हैं। इसके बाद अंग्रेजी और चीन की मंडारिन भाषा बोली जाती है। कुल 150 करोड लोग हिंदी बोलने वाले और समझने वाले पूरी दुनिया में है। हिंदी भाषियों को आत्म निरीक्षण की आवश्यकता है। बाहर के खाने से जैसे पेट खराब हो जाता है वैसे ही दूसरी भाषाओं के प्रयोग से हम अपना हाजमा बिगड़ रहे। स्वागत उद्बोधन डॉ प्रभु चौधरी ने दिया। प्रस्तावना सुंदरलाल जोशी 'सूरज' ने प्रस्तुत की। संचालन संस्था की महासचिव डॉ शहनाज शेख ने किया। आभार डॉ प्रभु चौधरी ने व्यक्त किया।
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