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हिन्दी साहित्य भारती के प्रांतीय अधिवेशन में साहित्यकार जितेन्द्र निर्मोही सम्मानित


कोटा। हिन्दी साहित्य भारती कोटा के प्रांतीय अधिवेशन में वरिष्ठ साहित्यकार जितेन्द्र निर्मोही को सम्मान पत्र, शाल, श्री फल, मेवाड़ी पाग द्वारा समादृत किया गया । सम्मान पत्र प्रांतीय अध्यक्ष जगदीश सोनी जलजला ने पढ़ा उन्होंने कहा यह सम्मान हमारी उस अग्रज पीढ़ी का सम्मान है, जिन्होंने साहित्य पहेरुआ बन समाज को जगाया और अपनी अस्मिता को बनाए रख नई पीढ़ी का पथ प्रशस्त किया ।

जितेन्द्र निर्मोही द्वारा अपना सम्मान राष्ट्रीय अस्मिता के हरावल पीढ़ी के अपने समय के जाने-माने साहित्यकार बाबू गजेन्द्र सिंह सोलंकी को समर्पित किया । गजेन्द्र सिंह सोलंकी ने साहित्यकार होते हुए भी राष्ट्रीय हित में सजग पत्रकारिता का धर्म निभाते हुए कठिन परिस्थितियों में भी अपने अखबार'एकात्म' से राष्ट्रीय चेतना की अलख जगाने का कार्य किया। सोलंकी जी की साइकिल ने अटल बिहारी वाजपेई और लालकृष्ण आडवाणी कोटा महानगर की सैर कराई।

इस समारोह के मुख्य अतिथि हिन्दी साहित्य भारती के अध्यक्ष डॉ रविन्द्र गुप्ता थे अध्यक्षता भाई परमानन्द ने की, मंच पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी के ओज के प्रमुख स्वर योगेन्द्र शर्मा, रजनीश शर्मा , प्रांतीय संरक्षक जितेन्द्र निर्मोही , जिला अध्यक्ष योगेंद्र शर्मा निदेशक शिशु भारती शिक्षण संस्थान कोटा और राजस्थान प्रांत के अध्यक्ष जगदीश सोनी'जलजला' उपस्थित रहे। आयोजन के अति विशिष्ट मुख्य अतिथि राजस्थान सरकार के केबिनेट मंत्री शिक्षा मदन दिलावर भी आयोजन के अंतिम चरण में उपस्थित हुए और राष्ट्रीय प्रशस्ति के पथ के इस समारोह का अभिनंदन किया। उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व शिक्षा मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार का अभिनंदन किया। समारोह में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का शाल श्रीफल माला , मेवाड़ी पाग से अभिनंदन किया गया।

समारोह का आगाज लोकेश मृदुल की सरस्वती वंदना से हुआ। मातृ वंदना मदर टेरेसा स्कूल की बालिकाओं द्वारा की गई। आजादी के बाद देश की आज़ादी और उस पर छाये खतरे पर वक्तव्य डॉ रविन्द्र शुक्ला जी ने दिया उसका निर्वाह योगेन्द्र शर्मा ओजस्वी गीतकार ने किया। रविन्द्र शुक्ल ने हिंदी साहित्य को संसार का सर्वश्रेष्ठ साहित्य बताया। उन्होंने कहा कि हमारे देश का सम्पूर्ण वांग्मय मानवता और मानवीय मूल्यों से भरा है। अपने उद्बोधन में जितेन्द्र निर्मोही ने कहा कि डॉ रविन्द्र शुक्ला और योगेंद्र शर्मा को सुनकर ऐसा लगा जैसे रामधारी सिंह दिनकर के संस्कृति के चार अध्याय के आगे आज़ दो अध्याय और जुड़ गए हों। यहां,मंच की सात्विकता से यूं लग रहा है जैसे कि उक्त दोनों कवियों के साथ मैं देवराज दिनेश और रामकुमार चंचल के कवि सम्मेलन की परंपरा में बैठा हूं। प्रारंभिक चरण का संचालन महेश पंचौली ने किया उसके बाद सफल संचालन साहित्य भारती के उद्देश्य और इस साल के प्रस्ताव सहित जगदीश जलजला ने अपनी बात रखी। संगठन महामंत्री सोनी जी ने भी अपनी बात रखी।

आयोजन में अक्षर सम्मान इस वर्ष का अटरु के मधु जी और राजस्थानी हिंदी के कवि देवकी दर्पण का किया गया। योगेन्द्र शर्मा जी की कार्यकारिणी में युगल सिंह, डॉ वैदेही गौतम, प्रतिभा शर्मा, मुरली धर गौड़, लोकेश मृदुल, श्यामा शर्मा, गरिमा गौतम, महेश पंचौली, बाबू बंजारा, अनुराधा शर्मा*अनुद्या, पल्लवी न्याती , डॉ हिमानी भाटिया, अश्विनी त्रिपाठी, साधना गौतम, राम कल्याण गौतम आदि ने शपथ ली डॉ रविन्द्र शुक्ला जी ने शपथ दिलाई।

आयोजन में डा प्रभात सिंघल जी और योगेंद्र शर्मा जी निदेशक शिशु भारती शिक्षण संस्थान कोटा की कृतियों का लोकार्पण हुआ। स्वागत भाषण में योगेन्द्र शर्मा ने हाड़ौती अंचल की वीर साहित्य परंपरा को देश की अस्मिता का स्वर बताया। उन्होंने कहा कुल मिलाकर यह समारोह सांस्कृतिक विरासत का महनीय आयोजन सिध्द होगा।जिसमेंआज विवेकानंद को भी उनकी जन्म जयंती पर याद किया जाएगा। सभागार में नाथद्वारा से आए साहित्य भारती के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रमोद सनाढ्य सहित प्रदेश आए साहित्यकार, शहर के बुद्धिजीवी प्रदेश भर से आए साहित्यकार मौजूद थे। अंत में धन्यवाद पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी सीता राम मीणा ने दिया।

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