भोपाल। 'पुस्तक है तो संस्कृति है, मन के भीतर ख़ुशी हो या गम बाँटना ज़रुरी है, इसके लिए संवाद आवश्यक है, साहित्य का उद्देश्य जो है उससे बेहतर समाज का निर्माण करना है, पुस्तक सृजन सारस्वत पुरुषार्थ है जो न्याय की धुरी पर टिका होता है, बोलना कला है तो सुनना भी एक कला है।' यह उदगार हैं वरिष्ठ साहित्यकार और साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद पूर्व निदेशक डॉ. देवेंद्र दीपक के जो लघुकथा शोध केंद्र समिति भोपाल द्वारा आयोजित पुस्तक पखवाड़े के दशम दिवस की अध्यक्षता करते हुये बोल रहे थे।
इस कृति विमर्श में 'हम धरती के फूल' (बाल गीत संग्रह) लेखक -पुरुषोत्तम तिवारी साहित्यार्थी पर विमर्श में भाग लेते हुए सुपरिचित गीतकार समीक्षाक मनोज जैन मधुर ने कहा की इस कृति में मनोरंजन के साथ ज्ञानरंजन भी है, कवितायेँ बाल मनोविज्ञान के अनुकूल है, चरित्र और आदर्श की बातें बिना उपदेश के सहेज बताई गई हैं।'
चर्चा के इस आयोजन में दूसरी कृति 'तुम चन्दन हम पानी' (नवगीत संग्रह) रचनाकार- गोविन्द अनुज पर चर्चा में भाग लेते हुए समीक्षक अरुण अपेक्षित ने कहा की यह नवगीत आम लोगों की बात आम लोगों की भाषा में रखते हैं यह नव गीत अपने समय की बिडंबनाओं को गहराई से रखते हैं।'
विमर्श की तीसरी कृति थी 'सूत्रधार' (लघुकथा संग्रह ) लेखक- डॉ.अशोक भाटिया पर चर्चा करते हुए समीक्षक डॉ. राधेश्याम भारतीय ने कहा की यह लघुकथाएं अनुभव की आँचल पर पकी हुई हैं, यह सृजन लेखक की अनुभूतियाँ हैं जो उनके संवेदनशील से निकली हुई हैं जो पाठक के ह्रदय को झकझोर देती हैं।'
कार्यक्रम में प्रो. बी. एल. आच्छा (चेन्नई), डॉ. मिथिलेश अवस्थी (नागपुर) ने भी अपने महत्वपूर्ण विचार साझा किये। लेखक त्रयी डॉ.अशोक भाटिया, गोविंद अनुज और पुरुषोत्तम तिवारी ने भी अपनी लेखन यात्रा के अनुभव साझा किये, कार्यक्रम का सफल संचालन घनश्याम मैथिल अमृत ने किया, स्वागत उदबोधन सतीश चंद्र श्रीवास्तव ने दिया और अंत में आभार गोकुल सोनी ने दिया। आयोजन में देश दुनियां के बड़ी संख्या में पुस्तक प्रेमी उपस्थित थे।
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