सोमा वीरप्पन की पहली हिंदी पुस्तक यस बॉस विमोचित
तिरुचिरापल्ली। तमिल विद्वान और सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी सोमा वीरप्पन की प्रथम हिंदी पुस्तक ‘यस बॉस’ का विमोचन 12 नवंबर, मंगलवार को भारतीय प्रबंधन संस्थान, तिरुचिरापल्ली (आईआईएम, त्रिची) में हुआ।
तिरुकुरल के चुनिंदा नीति-वचनों को प्रबंधन से जोड़ कर लिखी इस किताब का विमोचन आईआईएम के निदेशक डॉ. पवन कुमार सिंह ने किया। अंतरराष्ट्रीय प्राकृत केन्द्र के पूर्व निदेशक साहित्यकार डॉ. दिलीप धींग ने पहली प्रति ग्रहण की। डॉ. धींग ने कहा कि तमिल साहित्य का गौरव तिरुक्कुरल भारतीय संस्कृति एवं मानवीय चिंतन की शुद्ध और विराट अभिव्यक्ति है। इस विश्वविख्यात ग्रंथ में सभी प्रकार के श्रेष्ठ जीवन मूल्यों का समावेश है। इसमें जैन कवि तिरुवल्लुवर अहिंसक जीवन, समतामय समाज और समर्थ राष्ट्र का संदेश देते है।
मुख्य वक्तव्य में डॉ. धींग ने कहा कि तिरुक्कुरल सूक्तियों का भंडार है। कुरल की सूक्तियां राजा और प्रजा, बड़े और छोटे, अभिभावक और संतति, गुरु और शिष्य, सबके लिए प्रेरक हैं। डॉ. धींग ने कहा कि भारत में सबसे ज्यादा बोली और समझी जाने वाली भाषा हिंदी में लेखक की यह पुस्तक तमिल साहित्य की सुगंध को हिंदीभाषी क्षेत्रों में पहुंचाने में सहायक बनेगी। इस पुस्तक के जरिये लेखक ने पुरातन और आधुनिक ज्ञान के बीच के अंतराल को कम और खत्म करने का प्रयास किया है।
आईआईएम निदेशक डॉ. पवन कुमार सिंह ने कहा कि जीवन में साहित्य और गणित का ज्ञान जरूरी है। तिरुक्कुरल में इसका मार्गदर्शन मिलता है। पुस्तक को पाठक हितैषी बताते हुए उन्होंने कहा कि सिर्फ साठ कुरल के आधार पर लिखी पुस्तक इतनी शिक्षाप्रद है तो संपूर्ण तिरुक्कुरल की महत्ता का अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है।
लेखक सोमा वीरप्पन ने कहा कि तिरुक्कुरल में जो राजा और मंत्रियों के लिए लिखा गया, वह वर्तमान में अधिकारियों और कर्मचारियों पर लागू होता है। अनेक कुरल ऐसे हैं, मानो हम आधुनिक प्रबंध की किताब पढ़ रहे हैं। तिरुवल्लुवर की प्रबंधकीय शिक्षाओं पर लिखी इस पुस्तक का विमोचन भारतीय प्रबंधन संस्थान में सर्वथा उचित है।
सामाजिक उत्प्रेरक सीए अनिल खीचा ने लेखक का अभिनंदन किया और कहा कि यह पुस्तक कार्यालयीन जीवन के लिए मार्गदर्शक होने के साथ ही जीवन में आने वाली समस्याओं के व्यावहारिक समाधान सुझाती है। अनुवादक रोहित शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। छात्र प्रियांशु भट्ट ने संचालन और श्रीविद्या ने संयोजन किया। कार्यक्रम में बैंक, डाक, रेलवे आदि कार्यालयों के हिंदी अधिकारी, प्रबंधन संस्थान के प्राध्यापक, विद्यार्थी और साहित्यप्रेमी उपस्थित थे।
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