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मध्यप्रदेश लेखक संघ द्वारा विश्वरंग के अनुषंग कथारंग में झलके जीवन के विविध रंग


भोपाल। आज के आपाधापी भरे जीवन में समयाभाव के कारण लघुकथा एक नयी विधा के रूप में उभरी है। यह कहना था ख्यात साहित्यकार तथा रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्व विद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे का जो मध्यप्रदेश लेखक संघ द्वारा विश्वरंग के अनुषंग कथारंग के रूप में आयोजित प्रादेशिक कहानी/ लघुकथा गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। आपने कहा कि आज के आयोजन में कथाकारों ने नयी रचनात्मकता और संवेदना से भरपूर लघु किंतु मारक रचनाओं का संसार प्रस्तुत किया। आपने अपने चर्चित उपन्यास 'जलतरंग' के अंश का पाठ भी किया ।

कार्यक्रम की सारस्वत अतिथि प्रसिद्ध कथाकार डॉ. उर्मिला शिरीष ने कहा कि साहित्य जीवन और समाज का यथार्थ रूप सामने लाता है और हमारे भीतर मानवीय भावनाओं और संवेदनाओं को अनुभूत करवाता है । आपने कहा कि आज पढ़ी गयी रचनाओं में मानवीय जीवन के विविध रूपों का संवेदनशील ढंग से चित्रण देखने को मिला। उन्होंने अपनी कहानी "खिड़की" का वाचन किया। विशिष्ठ अतिथि व संघ के संरक्षक डॉ. राम वल्लभ आचार्य ने कहा कि कथानक कहानी का प्रधान अंग है जो चरित्र चित्रण, परिवेश का वर्णन, कथोपकथन भाषा और शैली का आश्रय लेकर किसी विचार अथवा संदेश को सम्प्रेषित करता है। आपने डायरी शैली में अपनी कहानी 'आत्मालोचन' के माध्यम से महात्मा गाँधी के उस विचार को प्रकट किया कि मनुष्य की बुराई से घृणा करें मनुष्य से नहीं।

लेखक संघ के प्रांताध्यक्ष राजेन्द्र गट्टानी ने कहा कि विश्व रंग के अनुषंग रूप में इस कथा रंग मुख्य अतिथि श्री संतोष चौबे और सारस्वत अतिथि डॉ. उर्मिला शिरीष की उपस्थिति ने इस गोष्ठी को विशेष बनाया है। उन्होंने अतिथियों और रचनाकारों के प्रति आभार भी व्यक्त किया। बुरहानपुर से आये संतोष परिहार ने अपनी कहानी 'उस पार जाना है' के माध्यम से आशावादी रहने का संदेश दिया। डॉ. लता अग्रवाल 'तुलजा' ने कहानी 'स्त्री डोर और पतंग' द्वारा पतंग को प्रतीक बनाकर स्त्री मनोविज्ञान को बहुत ही भावपूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया। आनंद कुमार तिवारी की कहानी 'अस्मिता की वापसी' में कुसंगति में पड़ी युवती की अस्मिता की वापसी को रेखांकित किया। इनके अलावा कांता राय ने 'मोक्ष', चौधरी मदनमोहन समर ने 'पानी की परत', मनोरमा पन्त ने 'घोड़े की मौत', राजश्री रावत ने 'एक बार फिर', अर्जुनदास खत्री ने लघुकथायें 'शपथ', 'रंग' एवं 'रिश्ते', सुनीता यादव ने 'ओल्ड विश' व 'कन्याभोज', 'चन्द्रभान राही ने 'शहर में जंगल' और विजय जोशी 'शीतांशु' ने 'सी.सी.टीवी फुटेज', 'राखी के लिफ़ाफ़े' और 'जय जवान जय किसान' शीर्षक लघुकथाएँ प्रस्तुत की।

कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों ने वाग्देवी सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। संघ के प्रांतीय मंत्री मनीष 'बादल' के संचालन में सम्पन्न कार्यक्रम में समन्वयक श्री अशोक निर्मल ने आमंत्रित रचनाकारों का स्वागत किया और प्रांतीय उपाध्यक्ष ऋषि श्रंगारी स्वागत वक्तव्य दिया।

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