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सात्विक श्रंगार के गीत है ऋषि श्रंगारी के : आचार्य


भोपाल । "ऋषि श्रृंगारी के गीतों में कोरी मांसलता का वर्णन नहीं है जैसा कि अधिकांश कवियों की रचनाओं में मिलता है बल्कि उनमें श्रंगार के सात्विक रूप के दर्शन होते हैं ।" यह बात वरिष्ठ गीतकार डाॅ. राम वल्लभ आचार्य ने प्रसिद्ध कवि ऋषि श्रंगारी की तीसरी कृति " मैं पथिक हूँ गीत पथ का" के लोकार्पण समारोह में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कही । आपने कहा कि गीत की साधना किसी तपस्या से कम नहीं है और इसी तप ने श्रंगारी को गीत ऋषि के समान बनाया है । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डाॅ. विकास दवे ने कहा कि श्रंगारी के गीतों में लौकिक श्रंगार के साथ ही दार्शनिक भावों का भी समावेश है । समारोह के सारस्वत अतिथि एवं देश के ख्याति लब्ध गीतकार श्री मयंक श्रीवास्तव का कहना था कि ऋषि श्रंगारी ऐसे विरले गीतकार है जो इस विषम समय में भी श्रंगारिक गीतों का सृजन कर रहे हैं जिसकी आज महती आवश्यकता है । कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि ऋषि कुमार मिश्र ने कहा कि ऋषि श्रंगारी के गीत छांदिक अनुशासन पर खरे बैठते हैं इसलिये वे श्रोता के मन मस्तिष्क में स्थायी रूप से स्थान बनाते हैं ।

मध्यप्रदेश लेखक संघ के तत्वावधान में दुष्यंत संग्रहालय में आयोजित लोकार्पण समारोह का रससिक्त संचालन स्थापित मंचीय कवि राजेन्द्र गट्टानी ने किया । प्रारंभ में अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलन एवं सरस्वती प्रतिमा पर माल्यार्पण के पश्चात मधु शुक्ला ने वाणी वंदना प्रस्तुत की तथा युवा कवि धर्मेन्द्र सोलंकी ने स्वागत उद्बोधन दिया और आभार अभिव्यक्त किया अभिलाषा श्रीवास्तव "अनुभूति" ने । कार्यक्रम में बड़ी संख्या में हिन्दी उर्दू साहित्यकार उपस्थित थे ।

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