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कविताएं अपने समय का दस्तावेज, सभ्यता, संस्कृति और व्यापक फलक हैं - निर्मोही


कोटा। दुनिया की खूबसूरती को बयां करने के लिए कविता से बेहतर कोई माध्यम नहीं है। प्राणवायु का कार्य करती कविता में सपनों का संसार बसता है। कवियों, श्रोताओं और पाठकों के लिए भूत भी कविता थी, वर्तमान भी वही है और भविष्य भी वही है। कविता दिल की भावनाओं का दर्पण होती है। यह विचार आज राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय में आयोजित विश्व कविता दिवस के समारोह में अथितियोंं ने व्यक्त किए।

मुख्य अथिति कपिल गौतम ने कवि और कविता के धर्म पर प्रकाश डालते हुए वर्तमान संदर्भ में कविता की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। अध्यक्षता करते हुए प्रो.के.बी. भारतीय ने कविता के पौराणिक संदर्भों को वर्तमान से जोड़ा। उन्होंने कहा कविता का सकारात्मक पक्ष अनुकरणीय होता है। इस अवसर पर साहित्यकार जितेन्द्र निर्मोही ने कविता को अपने समय का दस्तावेज,सभ्यता, संस्कृति का व्यापक फलक कहा। कविता समय के संक्रमण को प्रदर्शित ही नहीं करती वरन् उसका निदान भी निकालती है। अजय पुरुषोत्तम, गोपाल नमेंद्र और डॉ. प्रभात कुमार सिंघल, सत्येन्द्र वर्मा ने भी विचार व्यक्त किए। उन्नति मिश्रा, राजेश गौतम ने काव्य पाठ किया और नन्हीं बच्ची नव्या ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।

इस अवसर पर जितेंद्र निर्मोही के राजस्थानी में लिखे उपन्यास नूगरी के पूर्ण शर्मा पुरन द्वारा हिंदी अनुवाद "लाडबाई" का विमोचन भी किया गया। मुख्य वक्ता समीक्षक विजय जोशी ने उपन्यास का परिचय प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा नुगरी राजस्थानी उपन्यास अपने समय का दस्तावेज है। अनुवादक पूर्ण शर्मा पूरण ने मूल उपन्यास की आत्मा को समझ कर "लाड़ बाई" का सृजन किया है।

स्वागत करते हुए पुस्तकालय अध्यक्ष डॉ.दीपक श्रीवास्तव ने बताया कि प्रथम बार संयुक्त राष्ट्र ने 21 मार्च 1999 को विश्व कविता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। मुख्य उद्धेश्य कविताओं का प्रचार- प्रसार करना और लेखकों एवं प्रकाशकों को प्रोत्साहित करना है। प्रारंभ में अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।इस अवसर पर साहित्यकार किशन वर्मा, रामेश्वर शर्मा रामू भैया, विष्णु शर्मा हरिहर, डॉ अतुल चतुर्वेदी , डॉ वीणा शर्मा, श्यामा शर्मा आदि उपस्थित थे। संचालन साहित्यकार महेश पंचोली ने किया। समारोह में अनेक साहित्यकार मौजूद रहे।

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