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हिंदी कहानी ने लोकतांत्रिक नेतृत्व को गढ़ा -प्रो. बी.एल.आच्छा


चैन्नई। हिंदी विभाग मद्रास विश्वविद्यालय द्वारा टी भवानी देवी स्मृति व्याख्यान का आयोजन किया गया। अंबेडकर विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर के हिंदी विभाग की पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर पूनम सिन्हा ने कहा कि आधुनिक कथा साहित्य में जीवन का हर क्षेत्र व्यापक रूप से चित्रित हुआ है। प्रेमचंद ने सामाजिक यथार्थ को व्यापकता और वास्तविकता के साथ बुना। इससे हिंदी उपन्यास को जातीय पहचान मिली। किसानों मजदूरों की व्यथा का चित्रण ही नहीं, सामाजिक बुराइयों पर आघात इनका लक्ष्य था। वे इनमें सामाजिक आदर्श वाले जीवन मूल्यों को रचते थे।

उन्होंने कहा कि आज का उपन्यास मनोविज्ञान , समाजशास्त्र नारी विमर्श सहित अनेक क्षेत्रों को छूता है। पर केवल यथार्थ का चित्रण करता है, आदर्श का नहीं। वह समाधानों की बात नहीं करता। इन उपन्यासों ने नारी संघर्षों के चित्रण से आधी आबादी का सशक्तीकरण किया है। यही नहीं देश-विदेश के जीवन का चित्रण कर प्रवासी दुनिया को हिंदी उपन्यास में शामिल किया है।

आयोजन में साहित्यकार श्री बी. एल .आच्छा ने कहानी परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि हिंदी कहानी ने लोकतांत्रिक नेतृत्व को गढ़ा है। वह दबे कुचले वर्गों की पहचान ही नहीं बनी है ,बल्कि लोकतांत्रिक समाज के लिए प्रतिरोध की चेतना पैदा करती है। हिंदी कहानी ने न केवल विषयों को वैश्विक बनाया ,बल्कि शिल्प के नये रूप भी गढ़े हैं ।

इस संवाद में डॉ. सुधा त्रिवेदी, श्रीमती सुषमा, डॉ.लावण्या, डॉ. सिन्हा,डॉ. ए. भवानी ,श्री मदनमोहन आदि ने सहभागिता की ।आरंभ में विभागाध्यक्ष डॉ. चिट्टी अन्नपूर्णा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए आयोजन की रूपरेखा प्रस्तुत की।

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