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आओ हम मानवता लाएं (कविता) -ललित शर्मा


आओ हम मानवता लाएं
आगे स्वतः बढ़ आएँ
मानवता आगे बढ़ाएं,
द्वंद, घृणा, बैर, क्लेश,
जड़ से हटाएं मिटाए
स्नेह प्यार सौहार्द
आपस में बढ़ाएं
खुलेमन से
सबको गले लगाएं
बढ़ाएं जन जन से
प्रेम प्रीति और व्यवहार
सेवा, सहयोग, सहायता
हम खूब आपस में बढ़ाए
प्रेमरिश्तों को निभाये
रचाये मधुरता का
मानवता का यह संसार
संबंध व्यवहार का
नाजुक न कहीं पड़ जाए
रचती बढ़ती रहे
देशसमाज में मानवता
जगे मानव के ह्रदय से
मानवीयता की
मधुर आवाज
बढ़ता जाए आपस में
सबजन का मेलमिलाप
वृहत रचे और रचती रहे
मानवता का मधुरतम
बढ़े ह्रदय में भरें हरदम
मन में उच्चतम विचार
मानवता का रचता रहे
मानव का मधुर सम्बन्ध
मानव का मधुर व्यवहार

-ललित शर्मा,डिब्रुगढ़ असम

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