नव वर्ष के
नव उदित
सूर्य की रश्मियां
जब बंजर धरती पर पड़ी
जब बंजर धरती पर पड़ी
तो धन-धान्य से
मालामाल हो गई,
आँख के आँसू पर पड़ी
आँख के आँसू पर पड़ी
तो रुमाल हो गई,
भूख से बिलखते बच्चे पर पड़ी
भूख से बिलखते बच्चे पर पड़ी
तो रोटी का निवाल हो गई,
शहीदों की बुझी राख पर पड़ी
शहीदों की बुझी राख पर पड़ी
तो लाल गुलाल हो गई,
वतन के गद्दारो पर पड़ी
वतन के गद्दारो पर पड़ी
तो भूचाल हो गई
भ्रष्ट नेताओं पर पड़ी
भ्रष्ट नेताओं पर पड़ी
तो बवाल हो गई,
भारत माता के भाल पर पड़ी
भारत माता के भाल पर पड़ी
तो निहाल हो गई।
-पंकज धींग,नीमच मध्य प्रदेश
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