तुम्हारा तूफान की तरह आना
और तूफान की तरह चले जाना
खलता रहा मुझे देर तक
अपनी पीड़ाओं में डूबा रहा
फिर मैं उठा और चल पड़ा
उस ओर ही
जिस ओर तुम्हारे कोमल पैरों के
पदचिन्ह उगे थे
मैंने अंजुरी भर रेत उठाई
और उसे हवा में उछाल दिया
हवाओं का साथ पाकर
नहलाती रही मुझे
कितना सुकून दे गयी
एक अंजुरी मरुस्थल
-विश्व सिग्देल,नेपाल
0 टिप्पणियाँ