बीवी ने मुस्कान ले, पूछा कर मनुहार ।
अब के करवा चौथ पर,क्या दोगे उपहार ।।
होता करवा चौथ पर,शौहर का सत्कार ।
करती बीवी ध्यान रख,.चँदा का दीदार ।।
ऐसे छलिया चाँद से, होती नित तकरार ।
जो बादल की ओट ले, छिप जाए हर बार ।।
उत्सव करवा चौथ का, शौहर हैं परदेश ।
चंदा में आते नजर, मुझको सजन रमेश ।।
दिन ये करवा चौथ का,हर बीवी का खास ।
चंदा का दीदार कर, पूर्ण करे उपवास ।।
बादल बैरी बीच मे, आजाएँ हर बार ।
कैसे करे चकोर फिर,चंदा का दीदार ।।
करती करवा चौथ पर, बीवी हर शृंगार ।
ऐवज मे पति से मिले, मनभावन उपहार ।।
करें सुहागन प्रेम से, ईश्वर का गुणगान ।
पति की लम्बी उम्र का,मिल जाए वरदान ।।
लगे सुहागन को वहाँ, करवा चौथ विराग ।
सरहद पर तैनात हो,जिसका अमर सुहाग ।।
उत्सव है सौभाग्य का, शौहर हैं परदेश ।
चन्दा में आएँ नजर, मुझको पिया रमेश ।।
जीऊँ मैं जितने बरस , कायम रहे सुहाग ।
सोचे करवा चौथ पर ,उसका सदा दिमाग ।।
-रमेश शर्मा, मुम्बई
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