दीपावलियाँ हैं सजी , घोर अमा की रात ।
उतरे नभ से जिस तरह, तारों की बारात ।।
इक दूजे को दे रहे, बधाइयां , आशीष ।
मंगलमय हो पर्व यह बरसे लक्ष्मी ईश ! ।।
अंधकार दहशत भरा, छाया आधी रात ।
देशभक्ति के दीप ने, वैरी को दी मात ।।
दीपक से दीपक जलें, भू पे करें उजास ।
नवल उजाला जग भरे, लाये सुख की आस ।।
चाहत के ले रंग नव , आया है त्यौहार ।
जन - जन में खुशियाँ बसी , बाँटे मिठास प्यार।।
मन ड्योढ़ी दीपक जले, आए साजन याद ।
कैसे हो दीपावली, किससे हो फरियाद ।।
ले आई दीपावली, खुशियों की बरसात ।
झूम रही खुशियों भरी, आज अँधेरी रात ।।
समता का दीपक जला, भेद-भाव दें मेट ।
भारत माता को यही, दीवाली की भेंट ।।
सत्य, न्याय, श्रम हो जहाँ , लक्ष्मी करें निवास ।
पर्व कहे जग को सदा, उद्यम में श्री वास ।।
दिल का दीपक जब जला, महके मन मकरंद ।
रस्म-रवायत से सजे, दीवाली के छंद।।
चाँद न आया आज क्यों, दीवाली की रात ।
दीयों से डर के छिपा, चाँदनिया के साथ ।।
इस दीवाली देश को , जाएँ मिल प्रभु राम ।
काले धन अरु घूस के , घोटाले लें थाम ।।
-डॉ मंजु गुप्ता, नवी मुम्बई
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