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माता -पिता कहलाते (कविता) -ललित शर्मा


संसार की सर्वोत्तम
जीवन जीने की घुंटी
बचपन से जो पिलाते
वो ही तो है जो,
माता -पिता कहलाते

जीवन जीने की
कीमती और मूल्यवान
जो बातें बताते
वही तो है जो,
माता -पिता कहलाते

जो बच्चो की खुशी खातिर
हरदुःख की घुंटी पी जाते
जीवन को मजबूत बनाते
वही तो है जो,
माता -पिता कहलाते

मूल्यवान यह औषधि
जीवनभर जीने की
सहायक रोज पिलाते
वही तो जो,
माता -पिता कहलाते

सहन करते करते
हर काम आसान बनाते
जीवनजीने में
खुशी ही पाते
वही तो है जो,
माता -पिता कहलाते

बच्चों से रोज स्नेहप्यार
पाने को तरस जाते
कभी कभी तो
सूरत देखे बिन
आंखों में आंसू भी लाते
वही तो है जो,
माता -पिता कहलाते

जीवनभर असरदार
एकाग्र कराते
बैठकर सीखते
वही तो है जो
माता -पिता कहलाते

भूखे प्यासे रहकर
अन्तर्मन से हिम्मत बढ़ाते
खुशियां भरकर
खुद दुःख की घुंटी पी जाते
वही तो है जो
माता-पिता कहलाते

-ललित शर्मा,डिब्रुगढ़ असम

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