जादू से नहीं ये खुद कर होगा,
नहीं ये फ़साना जहाँ भर होगा।
भाग्य को कोसना व्यर्थ मित्र,
आलस से कष्ट सब सर होगा।
बहुत महँगे हैं आजकल दोस्त,
साथ रहें जब तक ज़र होगा ।
नहीं आँखों में नहीं मन में,
आंसू है तो जहाँ भर होगा।
बेहद बेचैन तेरा गुलाम आका,
तू अपने में मिलाए सागर होगा।
खेत की मिट्टी बड़ी चतुर है लाला,
जब दाम गिरेंगे अन्न जी भर होगा।
प्रारब्ध कुछ और बयां करता है,
कोई और लकीरों का सिकंदर होगा।
-हेमन्त कुमार शर्मा
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