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कर्मों का लेखा (विधाता छंद)


करुं विश्वास तुम पर ही, मुझे तेरा सहारा है।
पड़े कोई कभी विपदा, लगे ईश्वर हमारा है।।
भंवर में आ फसा जीवन,दिया जीवन तुम्हारा है।
भरोसा एक तुम पर ही, वही भेजो किनारा है।।

बचे क्या राम कृष्ण कब, पड़ी विपदा कि अवतारी।
सहे सब कष्ट उन सब ने, रची लीला बड़ी न्यारी।।
रहे हम लोग साधारण, करे खेला वही भारी।
गए वनवास राघव जो, मिले वानर खिली क्यारी।।

नशा करते फिरे बच्चे,इसे ही आधुनिक जाने।
पहन ब्रांडेड से कपड़े, इसी में शान है माने।।
करे शॉपिंग कभी पिक्चर,कभी बर्गर यही खाते।
चढ़े कर्जा पिये ठर्रा, गिरे नाली पड़े पाते।।

-अलका जैन 'आनंदी', मुम्बई

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