Subscribe Us

चांदनी (कविता)


चौखट की ओट से
जब तुम्हारी निगाहे निहारती
लगता सांझ को इंतजार हो
रोशनी का

राह पर गुजरते अहसास
दे जाते तुम्हारी आँखों मे
एक अजीब सी चमक

पूनम का चाँद
देता तुम्हारे चेहरे पर
चांदी सी रोशनी

तुम्हें देख लगता
चांदनी शायद 
इसी को तो कहते

दरवाजे बंद हो तो
लग जाता चंद्रग्रहण
लोग कहाँ समझते
चांदनी का महत्व

करवा चौथ
शरद पूर्णिमा
तीज
चाँदनी बिना अधूरे
वैसे तुम भी हो

रातों में चाँद की चाँदनी का
खिलने का इंतजार
फूल भी करते
जैसे उपासक करते तुम्हारे
चौखट पर खड़े रहने का

इंतजार ही कुछ ऐसा
जो चांदनी की रोशनी में
कर देगा मदहोश।

-संजय वर्मा 'दृष्टि',मनावर(धार)



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ