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मौन की शक्ति


शायद तुम्हें पता नहीं कि
मौन में है कीतनी शक्ति
मौन हो कर देख लो
शांत होकर बैठने में क्या है
इसे भी
अजमाकर कर देख लो
नही चाहते हो गुनगुनाना
मत गुनगुनाओ
पर गा रहे प्रकृति के
भोले भाले पहरुओं के
राग तो सुन लो
सुबह के आनंद को
अपनी तंद्रा में खोने वालो
कुछ दिन उठो देखो
अनवरत प्रतिदिन प्रतिपल
खुली आँखों से
रविरथ को व्योम से आते
खगवृन्दों को मुस्कराते
देखते देखते खुल जाएगा
चर्म चक्षु का अनंत आयाम
नही करना पड़ेगा कोई व्यायाम
मिलेगा पूर्ण विश्राम

-अरविन्द कुमार पाठक 'निष्काम', नागदा (म.प्र.)


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