म.प्र. साहित्य अकादमी भोपाल द्वारा नारदमुनि पुरस्कार से अलंकृत

तुम्हारी अनुपस्थिति में (कविता)


तुम्हारी अनुपस्थिति एक अर्थ में सुंदर है
मैं शांति से तारे गिन सकता हूं
अंकित करने के लिए, त्रुटि के बिना,
उनमें से कौन टिमटिमाता है।

पश्चिम की हवाएं तुम्हारी सुगंध लेकर चलती हैं
तुम्हारे लम्बे काले बालों की खूशबू में खो देता हूं
परवाने की तरह जलना
तुम्हारी सुंदरता की लौ में।
जैसे किसान की आंखों की रोशनी के रूप में
जब वह अपने खेतों में 
भरपूर लहलहाते फसल को देखता है

और हँसिया का संगीत सुनता है
एक सुंदर खुशी का गीत,
इसलिए, मैं प्रेम का गीत गाता हूं
मौत का हाथ थामे हुए
अकेले
एकान्त की वैभव में
खोया
अनजान
बंद आंखों से
तुम्हें महसूस करता हूँ

परंतु किसी कोने से आती
टपकती नल की बूँदों के टप-टप
करती हुई
पानी की वो आवाज
तुम्हारी होने की भ्रम प्रदान करती है।

आँखें खुलती है
इधर-उधर देखता हूँ
पर,तुम कहीं नहीं हो
तुम जा चुकी हो
अपने गाने का जादू पीछे छोड़ते हुए।
मैंने तुम्हारा नाम फुसफुसाया
जंगली चीड़ की सरसराहट की तरह।
तुमने अपना दिल छोड़ दिया।
एक नीली झील
जिसमें मैं डूबने को तड़पता हूँ
मेरे पापों को धोने के लिए।

तुम चली गई
तुमने जाने से पहले मुझे सब कुछ दे दिया
आत्मनिरीक्षण की कुंजी,
प्रत्याशा में अंतहीन धैर्य।
आशा की कोमल किरणें
जिससे तुमने मुझे पूर्ण किया।

-विश्व सिग्देल,
काठमाण्डु, नेपाल

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ