परीक्षा भवन में बैठा राजेश अपने ही दुनिया में सोया हुआ था, अभी परीक्षा शुरू होने में और आधा घंटा बाकी था। कुछ बातें उसके सीने में सुई की तरह चुभ रही थी, रह रह कर एक ही चेहरा घूमता जा रहा था माता-पिता का चेहरा।
राजेश के चेहरे में कई रंगों का आना-जाना साफ दिखाई दे रहा था, आज भी सवेरे हर बार की तरह खाने की टेबल में और घर से निकलती है सिर्फ एक ही धुन हिंदी में पूरे अंक लाने चाहिए, अगर कम आए तो पिताजी का रूद्र रूप, डंडे की मार याद आते ही भय से उसका गला सूख गया। अगर पूरे अंक ना आए तो एक भी डंडा पीठ पर से नीचे नहीं गिरेगा, नालायक खा खाकर खजूर का पेड़ बन गया है, अकल क्या घास खाने गई है, पिताजी की यह सब बातें सुनकर मां भी चलाती हुई रसोई से निकली कहती हुई, इस बार अगर एक भी अंक काम आए तो खाना पीना बंद मजदूरी करो घर से बाहर जाकर यहां तुम्हारे लिए कोई जगह नहीं।
पिताजी मां को कहने लगे तुम किस मनोज के पीछे पड़ी हो, वो जाने और उसका काम हरामखोर को बोलना और बहरे को कहना एक ही समान है।
मॉ भी पिताजी के साथ स्वर मिलाती हुई, तुम मेहनत करो पैसे कमाओ और यह सारा दिन बैठ-बैठ कर खाए और परीक्षा में कम अंक लेकर आए, जाने कौन सी घड़ी थी जब यह मनहूस पैदा हुआ था।
राजेश बातें सुनते सुनते पक गए था कभी-कभी उसके दिल में विचार आता क्या आत्महत्या कर लूं, रस्सी गले में लटका कर मर जाऊं या कहीं घर से भाग जाऊं पर ऐसी जिल्लत की जिंदगी नहीं जीना जाए क्या जो कम अंक आने की वजह से सुबह शाम डांट, गाली,पिटाई पड़ती।
प्रत्येक वर्ष की पूरी तैयारी के साथ आता मन में खुशी और उमंग होती पर घर से निकलने से पहले मां बाबूजी की डांट खाकर दिल में घबराहट के कारण मैं गलती कर बैठता।
राजेश यूं ही विचारों में उलझा रहा और पसीने से लथपथ होता रहा उसे समझ नहीं आ रहा था वह करे तो क्या करें।
अध्यापिका प्रश्न पत्र लेकर जब उसके सामने आई उसका चेहरा देखकर वह दंग रह गई ,उसको उदास देखता हुआ उसको अध्यापिका ने पूछा और सिर पर हाथ फेरा, कोमल स्पर्श पाते ही उसकी आंखों से आंसू टपकने लगें।
अध्यापिका ने पूछा सब ठीक तो है, तुम मुझे बताओ क्या हुआ है, तुम्हारी समस्या का समाधान कर देती हूं पर वह तो मौन रहा और आंसू टपकते रहे।
अध्यापिका ने कहा देखों तुम अगर नहीं बताना चाहते कोई बात नहीं, पर मेरी एक बात गांठ बांध लो तुम्हारी अंदरूनी शक्ति ही सबसे बड़ी शक्ति है, बाहर की शक्ति को अंदर मत आने देना गांधी जी के द्वारा कहीं एक बात सदा याद रखना 'No one can hurt you with our your permission.'
जब तक तुम ना चाहो तुम्हें चोट नहीं पहुंचा सकता जीवन में कुछ भी करना इंपॉसिबल नहीं है।
तुम सिर्फ I can't से सिर्फ " t "हटा दो।
और कहो आई कैन डू इट मैं कर सकता हूं, सब शक्ति मेरे पास है, जीवन में कभी घबराना नहीं तभी तुम आगे बढ़ते जाओगे अध्यापिका सभी को प्रश्न पत्र देकर चली गई।
सच यह बात बिल्कुल सही निकली,कुछ दिन बाद परीक्षा का नतीजा निकला सभी विषय पर पूरे अंक प्राप्त कर अपने कक्षा में प्रथम आया।
राजेश की खुशी का ठिकाना ना था सभी के चेहरे में खुशी की चमक उसी घर में सफेदी हो रही थी चारों और जश्न का माहौल सभी अतिथियों को निमंत्रण भेजा गया घर में स्वादिष्ट पकवान बन रहे थे चारों और चहल कदमी पर राजेश खुश ना था।
राजेश के परिवार को अपने स्टेटस की चिंता थी राजेश कि नहीं सभी उसके अंक से खुश थे सभी को लोगों से समाज से वाह-वाह लेना था राजेश की एक ही इच्छा थी एक प्यार भरा स्पर्श ।
एक स्पर्श प्यार भरा स्पर्श जो उसे उस अध्यापिका से मिला, जिन्होंने उसे आत्महत्या करने और गलत रास्ते में जाने से रोक दिया, उसकी जिंदगी ही बदल दी ,सिर्फ एक स्पर्श ही मांगा था ।
'सिर्फ एक स्पर्श ,सिर्फ एक स्पर्श'
-प्रिया राय, त्रिपुरा
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