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गंदे मनुष्य (लघुकथा)


आज सितारे धरती पर खेलने गए थे। बहुत देर तक जब सब आसमान पर नहीं पहुँचे,तो चाँद को चिंता हुई,उसने सूरज को बुलाया।

सूरज ने कहा चिंता की बात नहीं, आ जाएंगे पहले भी गए थे, लेकिन आ गए थे। आज ज्यादा लेट हो गया है।दोनों इंतजार करने लगे।

तभी सितारे आते दिखे। क्या हुआ? क्यों देर हुई? चाँद ने पूछा।

धरती पर बहुत हरियाली है,धरती बहुत सुंदर है, लेकिन वहाँ के ज्यादातर मनुष्य गंदे हैं।उनके चेहरे बड़े गंदे हैं, कुछ मनुष्य बहुत अच्छे,नेक है। इतना कहकर सितारे आसमान पर आँख मिचौली खेलने लगे।

कैसे ?चाँद ने आश्चर्य से पूछा,
चाँद समझा नहीं,उसने सूरज को देखा।

अरे,इतनी सी बात भी नहीं समझे,ज्यादातर धरती पर लोगों के पास एक ही काम है,चाँद और सूरज पर थूकने का,ये वही करते हैं,पर थूक चाँद और सूरज पर नहीं गिरकर उन्हीं के मुँह पर गिरता रहता है। इसलिए उनके चेहरे गंदे है। जो लोग अच्छे और इंसानियत से भरे है धरती उनकी वजह से ही सुंदर है। सूरज धीरे से मुस्कराया।

-इन्दु सिन्हा 'इन्दु', रतलाम

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