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हे मातु भवानी (गीत)


हे मातु भवानी,जगकल्याणी,
विनती हो स्वीकार।
तुझसे बड़ दाता, जग ना माता,
आई तेरे द्वार।।

हैं पाप नाशनी, विंध्य वासिनी,
शक्ति है अपरम्पार।
हुईं सिंह सवार, सुखद आधार,
खुशियाँ मिले अपार।।
दुख के हैँ मारे, सुख दे सारे,
दे ज़िन्दगी सँवार।
कोई ना दुखिया, हो सब सुखिया,
कर दे यह उपकार।।

है पाप भरा जग, दुखता रग रग,
कैसे करूँ सुधार।
दया करो माता, मन घबराता,
सुन ले आज पुकार।
हम दीन - हीन हैँ, पराधीन हैँ,
तुम हो जग विस्तार।
तुम्ही हो सहेली, तुम्ही पहेली,
रचती यह संसार।।

माँ भूल न जाना, साथ निभाना,
याद करे दुखियार।
मेरी यह विनती, क्यो ना सुनती,
आस लिए सब हार।
हम बालक तेरे, साधक तेरे,
तू ही हमे निखार।
माँ हम अनगढ़ हैं, तेरे दर हैं,
अब तो हमे सँवार।।

हे मातु भवानी, जग कल्याणी,
कर विनती स्वीकार।
तुझसे बड़ दाता , जग ना माता ,
आई तेरे द्वार ।।

-शालिनी खन्ना, नई दिल्ली


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