वो इसी फ़िराक में रहते है
शिकायतों की खुराक में रहते है
दरवाजे से आने की हिम्मत कहाँ
दीवारों की सुराख़ में रहते है
मुँह पर बोलो तो समझ आए
आप तो सदा ताकझांक में रहते है
हो जाते अनुमान भी ग़लत
क्यों ऐसे तपाक में रहते है
मौका ढूंढते जिल्लत करने का
वो वक़्त की इत्तफ़ाक में रहते है
-श्रीमती पंकज धींग,नीमच
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