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नासमझ इश्क (कविता)


हम ढूढ़ते रह गए
उनको हर निग़ाह में,
पर वो तो खो ही गए
ओर किसी की बाहों में।

हम ने तो हमेशा उनसे
इक़रार ही किया था
पर वो ही हर बार
इन्कार ही करते रह गए।

हमने तो खो दिए
हर लफ्ज़ उनको मनाने में
पर उन्होंने तोड़ दिया
हर अल्फ़ाज़ हमे भुलाने में।

हमारा तो बीत ही गया जीवन
उनसे इश्क़ निभाने में
पर उन्होंने गुज़ार ही दिया
हर लम्हा हमें सताने में।

-डॉ.राजीव डोगरा, कांगड़ा हिमाचल प्रदेश

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