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बदले खुद तकदीर (दोहे)


रावण कंस जैसे यहां, आसपास ही होय
इससे सदैव ही तुझे, बचकर रहना तोय

विरासत में अगर मिले, तुझको रमेश पीर
अपने श्रम से तू यहां, बदले खुद तक़दीर

भरोसा हो परिश्रम पर, रखें उत्तम विचार
जीवन जीने का यही, रहे नेक आधार

करें नहीं तू बेवजह, आप किसी पर घात
अगर किया है तब मिले, तुझको एक दिन मात

समझ बूझकर ना करिये, रमेश को बदनाम
कुछ लोगों का रह गया, ऐसा ही अब काम

मिले जहां से ज्ञान तो, उसको तू मत छोड़
अपने भीतर ही इसे, जितना जोड़े जोड़

जितना चढ़ना है तुझे, चढ़ जा वो सौपन
चढ़ने के बाद मत करें, रमेश तू अभिमान

धन जिसके भी पास है, खाते छप्पन भोग
मगर भूखे है अब भी, कितने सारे लोग

ज्ञानी सदैव ही यहां, करें ज्ञान की बात
करता है वो ज्ञान की, खूब यहां बरसात

सज्जन लोगों से करें, अच्छा सा व्यवहार
फिर देंगे वे आपको, प्रेम भरा उपहार

-रमेश मनोहरा, जावरा (म.प्र.)

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