कठिन है ये डगर पनघट, कदम तुम भाप कर रखना
कभी मुस्कान होठों पर तो आंसू भी कभी चखना
उभरकर पार संघर्षों के आगे जो गुजर जाओ
सफलता को लगा सीने अहम को दूर तुम रखना।
के दिन और रात से गुजरा समय बीत जाएगा
दिलों में तुम बसा लो घर ये धन ना काम आएगा
क्यों लालच में घिरा है तू यह नश्वर है तेरा जीवन,
तू खाली हाथ आया था तू खाली हाथ जाएगा ।
-डॉ. अनुराग दुबे, नागदा, जिला उज्जैन (म.प्र.)
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