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दूब के घास


हम उगेंगे दूब के
घास की तरह
खेत खलिहानों मे।

सुबह के ओस की बूंदों का
भार लिए
सर उठाकर झाकेंगे
आसमान में ।

और फिर,
सूरज की मदहोश किरणों में
खो जाएंगे
हमेशा के लिए॥

-योगेन्द्र पाण्डेय, सलेमपुर,देवरिया

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