Subscribe Us

कोई हमसे पूछे


जिंदा फकीरी क्या है, यह कोई हमसे पूछे,
बात बिगड़ कर कैसे फिर सुधरे, यह कोई हमसे पूछे।

मुफलिसी के दौर में खानाबदोश है आज हर कोई यहां,
ठहरी सांसों में ज़िंदगी कैसे धड़के, यह कोई हमसे पूछे।

आशियाना आज यहां,कल वहां बनता है अक्सर जहां में,
कैसे दिलों में मुक्कमल मकाम बने, यह कोई हमसे पूछे।

वक्त के आईने में खुद का दीदार करे भी तो करे कैसे,
खुद के आईने को साफ करे कैसे, यह कोई हमसे पूछे।

-डॉ सुरेंद्र मीणा, नागदा (म.प्र)

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ