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वो बातें कहते रहे


वो बातें कहते रहे,
हम सहते रहे।

तीर सभी लगे,
ढीट हँसते रहे।

पुराना ख़त लिखा,
चूम के पढ़ते रहे।

शान से घर छोड़ा था,
बरसों हाथ मलते रहे।

गहरी थी चाल,
इन्तजार करते रहे।

बामुश्किल करार आएगा,
दिये जलते रहे।

-हेमन्त कुमार शर्मा,
कोना,हरियाणा




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