संदीप सृजन
होली की हुड़दंग में, चले व्यंग्य के तीर ।
कहीं गुदगुदी कर रहे, कहीं घाव गंभीर ।।
नेता और चुनाव का, वर्तमान माहौल ।
होली रंग लपेट कर, बोल रहे है बोल ।।
कहीं गुदगुदी कर रहे, कहीं घाव गंभीर ।।
नेता और चुनाव का, वर्तमान माहौल ।
होली रंग लपेट कर, बोल रहे है बोल ।।
दीदी की दादागिरी, शाह भई का खेल।
बंग रंग के सामने, कोरोना है फेल।।
पप्पु फेकू बहुत हुआ, छोड़ो ये सब यार ।
होली का माहौल में, काहे की तकरार ।।
कुछ मन से कुछ बेमने, रचने बैठे छंद ।
सृजन कलम घिसते नहीं, अक्ल पड़ गई मंद ।।
पप्पु फेकू बहुत हुआ, छोड़ो ये सब यार ।
होली का माहौल में, काहे की तकरार ।।
कुछ मन से कुछ बेमने, रचने बैठे छंद ।
सृजन कलम घिसते नहीं, अक्ल पड़ गई मंद ।।
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