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आदि शक्ति- नारी शक्ति

नीतू मुकुल
नारी चेतना, सजगता और सम्मान के नये आयाम स्थापित करता अंतरष्ट्रीय महिला दिवस पूरा विश्व 8 मार्च को मनाता है | यह अपनी तरह से अनूठा आयोजन है | विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र यानी अपना भारत इसे हमेशा नए उल्लास और नए कलेवर से नारी जीवन में नए रंग भरने को तैयार रहता है | सामान्यत: इसे पूरी महिला बिरादरी को सम्मान देने, उनके कार्यों की सराहना करके उनके लिये प्यार और सम्मान जताने के लिए मनाया जाता है | चूँकि महिलाओं का समाज के हर क्षेत्र में जैसे आर्थिक, सामजिक और राजनैतिक गतिविधियों में काफी प्रभावी योगदान रहता है , तो इस दिवस की प्रासंगिकता उत्सव की रूप में परिवर्तित हो जाती है | जहाँ एक तरफ महिलाएं अपनी विभिन्न क्षेत्रों में पायी गयी उपलब्धियों का लेखा जोखा देती है वही पुरुष अपने बीच महिलाओं के संयुक्त योगदान पर गर्व करता है |

कारण ..
इतिहास के अनुसार आम महिलाओं द्वारा समानाधिकार की यह लड़ाई शुरू की गयी थी | लीसिसट्राटा नामक महिला ने प्राचीन ग्रीस में फ्रेंच क्रान्ति के दौरान युद्ध समाप्ति की मांग रखते हुए आन्दोलन की शुरआत की थी | फ़ारसी महिलाओं के समूह ने वरसेल्स में इस दिन एक मोर्चा निकाला , जिसका उद्येश्य युद्ध के कारण महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार को रोकना था | पहली बार वर्ष 1909 में सोशलिस्ट पार्टी द्वारा पूरे अमेरिका में 28 फरवरी को महिला दिवस मनाया गया था | तत्पश्चात 1910 के अगस्त के महीने में,अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के सालाना उत्सव को मनाने के लिए कोपेहेगन में दूसरी अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी की एक मीटिंग भी रखी गयी थी | अंततः अमेरिकन और जर्मन समाजवादी लुईस जिएत्ज़ के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के वार्षिक उत्सव की रूपरेखा तैयार हुई | हांलांकि , उस मीटिंग में कोई तारीख तय नही हुई थी | सभी महिलाओं को समानता का अधिकार और बढ़ावा देने के लिये इस कार्यक्रम को मनाने की घोषणा हुई |इसे पहली बार 19 मार्च 1911 में ऑस्ट्रिया ,जर्मनी, डेनमार्क और स्विट्ज़रलैंड के लाखों लोगों द्वारा मनाया गया था | विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम जैसे प्रदर्शनी, महिला परेड, बैनर आदि रखे गये थे | अन्य मुद्दों में महिलाओं द्वारा वोटिंग की मांग ,सार्वजनिक कार्यालय पर स्वामित्व और रोज़गार में लैंगिक भेदभाव को समाप्त करना आदि भी थे | हर वर्ष फरवरी महीने के अंतिम रविवार को अमेरिका में इसे मनाया जाने लगा था | इसी प्रकार यह दिवस अपनी यात्रा करता हुआ रूस की महिलाओं के बीच पहुंचा और रशियन महिलाओं ने फरवरी के अंतिम रविवार में वर्ष 1913 को इसे पहली बार मनाया | 1913 में महिला दिवस के उपलक्ष्य में सिडनी में महिलाओं ( ऑस्ट्रेलियन बिल्डर्स लेबरर्स फेडरेशन ) के द्वारा एक रैली रखी भी गयी | 1914 का अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को रखा गया था | तब से,8 मार्च को सभी जगह इसे मनाने की शुरुआत हुई | वोट करने के महिला के अधिकार के लिए जर्मनी में 1914 का कार्यक्रम खासतौर से रखा गया था | वर्ष 1917 के महिला दिवस को मनाने के दौरान सेंट्पीटर्सबर्ग की महिलाओं के द्वारा “रोटी और शांति” जिसमें रशियन खाद्य कमी के साथ ही प्रथम विश्व युद्ध के अंत की मांग रखी | हालाँकि राजनेता इसके खिलाफ थे फिर भी महिलाओं ने आन्दोलन जारी रखा तब रूस की जार सरकार को अपनी गद्दी छोड़नी पड़ी | धीरे-धीरे ये कई कम्युनिस्ट और समाजवादी देशों में मनाना शुरू हुआ, जैसे 1922 में चीन में,1936 से स्पैनिश कम्युनिस्ट आदि में |

गौरव...
अनेक क्षेत्र है जहाँ महिलाओं के सशक्तिकरण के अद्भुत उदहारण हमारे सामने है | एक समय तक तो अनुमान लगाने की भी ज़ुर्रत नही होती थी कि महिलाएं देश की सुरक्षा में अपनी दखलंदाजी ब-पुरुष रखेंगी | पर आज हक़ीकत यही है | सुरक्षा की कड़ी में 5000 किलोमीटर तक मारक क्षमता वाली अग्नि-5 मिसाईल की जिस महिला ने सफल परीक्षण कर पूरे विश्वमानचित्र पर भारत का नाम रोशन किया है, वह शख्सियत है डॉ. टेसी थॉमस | डॉ टेसी थॉमस को कुछ लोग “मिसाइल वोमेन” भी कहते है और वह भारत की पहली महिला है जो देश के मिसाइल प्रोजेक्ट को संभाल रही है | आमतौर पर जहाँ रणनीतिक हथियारों और परमाणु क्षमता वाले मिसाइल क्षेत्रों पर पुरुषों का वर्चस्व रहा है ,इस धारणा को तोड़कर डॉ टेसी थॉमस ने सच कर दिखाया कि कुछ उड़ान हौसलों के पंखों से भरी जाती है |
हमारे बीच कुछ ऐसी शख्सियत है जिन्होंने महिला होने के गौरव को बाखूबी अंजाम दिया है | मिशेल जो की गोऊरोक( स्कॉटलैंड) की रहने वाली है आज महिला मैराथन में शिखर पर है जबकि उनकी दो-दो बार ओपन-हार्ट-सर्जरी हो चुकी है और दिलखोलकर दौड़ती हैं | वहीं दूसरी तरफ़ अरुणिमा सिन्हा दिव्यांग ( प्रधानमत्री महोदय द्वारा दिया गया नया नाम ) होने के बावजूद एवरेस्ट फ़तह करने वाली पहली महिला बनी | हम इरा सिंघल की उपलब्धियों को कैसे भुला सकते है | उन्होंने भारत की सर्वोच्च परीक्षा भारतीय सिविल सर्विसेज में प्रथम स्थान प्राप्त किया था |
खेल जगत में भी महिलाएं किसी से पीछे नही रही | साक्षी मलिक और पी.वी. सिन्धु ने विश्व में भारत का नाम रोशन किया है | पी.टी उषा के योगदान को आज तक भुलाया नही जा सका है | “पय्योली एक्सप्रेस” के नाम से आज भी जानी जाती है | मैरीकोम नें मुक्केबाजी के क्षेत्र में नयी इबारत लिखी है | शून्य से शिखर की ओर की कल्पना को साकार कर अब वह “मैग्नीफिसेंट मैरी” के नाम से जानी जाती है |
डॉ भारती यादव को वर्ष 26 जनवरी को पद्म सम्मान से नवाजा गया | 92 वर्षीय और मूलत: इंदौर की रहने वाली इस महिला रोग विशेषज्ञ ने विगत 64 वर्षो से 1 लाख से ज्यादा महिलाओं का नि:शुल्क इलाज किया है |
ब्रिटिश संसद में महिलाओं को भाग लेने का अधिकार नही था | 1911 में महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ने वाली महिला नैन्सी एस्टर , ब्रिटिश की पहली महिला संसद बनी | विश्व के राजनीतिक पटल पर आज अनेक देशों पर महिलाएं शीर्ष पर है | भारत जैसे देश में इंदिरा गांधी और प्रतिभा सिंह पाटिल ने कमान संभाल रखी थी | वर्तमान में लोकसभा के अध्यक्ष पद पर सुमित्रा महाजन ने देश के गौरव को आगे बढाया है | कई राज्यों में महिला मुख्यमंत्री ने अपने नए आदर्श स्थापित किये है | आज नारी ट्रेन और हवाई जहाज को उमंग के साथ चला रही है और उससे भी आगे अंतरिक्ष में नए कीर्तिमान स्थापित कर चुकी है | प्रथम महिला रेलगाड़ी ड्राईवर सुरेखा यादव, जो भारत की ही नही बल्कि एशिया की प्रथम महिला ड्राईवर है| आज महिलाओं ने देश के कई गाँव के नेतृत्व की कमान संभाल रखी है | मूक दर्शक बनकर ग्राम पंचायतों की कार्यवाही देखना बीते समय की बात हो गयी | शमा खान, गीता बाई जैसी महिला सरपंचों ने नारी के गौरव को आगे बढ़ाया है | अर्थव्यवस्था की मेरुदंड कही जाने वाली कृषि और खेती किसानी में भी रामरती जैसी महिलाओं ने परचम लहराया है | नयी सदी की नारी के पास कामयाबी के उच्चतम शिखर को छूने की अपार क्षमता है | उनके पास अनगिनत अवसर भी है | दृढ इच्छाशक्ति एवं सुलभ शिक्षा ने नारी को अपने सपने साकार करने की नयी दिशा दी है | चन्दा कोचर, इंद्रा नुई , किरण मजूमदार, स्वाति पिरामल आदि जैसी सैंकड़ो महिलाओं ने आदर्श स्थापित किये है | नारी की साहसिक यात्रा अपने आकाश के साथ स्वतंत्रता की सांस ले रही है | देश दुनिया की खबर रखती आज की महिलाएं घर और ऑफिस में बाखूबी तालमेल रख आगे बढ़ रही है और साथ ही समय के साथ खुद को अपडेट करती हुई अपनी बेटियों को भी स्वावलंबी बना रहीं हैं |
वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम ने 2014 को किये एक अध्ययन के अनुसार यह आंकडे दिए कि वर्ष 2095 तक पूरे विश्व में लैंगिक समानता स्थापित हो जायेगी | पर वर्तमान गति को देखते हुए जो लैंगिक समानता चल रही है वह चिंताजनक स्थिति में है और यही गति रही तो वर्ष 2133 तक लैंगिक समानता का मिशन पूरा होगा ।

हमारी चिन्ताएं...
हमें मलाला पर नाज़ है पर हम नहीं चाहते कि विश्व में और मलाला हों | दुनिया के किसी मुल्क में यदि छोटी सी स्कूल जाती बच्ची को अगर अचानक इतना परिपक्व बन जाना पड़े तो निश्चय ही यह सम्पूर्ण मानव सभ्यता का दुर्भाग्य है क्योंकि अच्छी सभ्यताए बच्चों से उनका बचपन छीन नहीं सकतीं | हमारे सामने इन सब उपलब्धियों के पश्चात चुनौतियां भी है जिन्हें पूरी महिला बिरादरी को संग मिलकर लड़ना है | आज गणतंत्र भारत ने अपने 67 गौरवशाली वर्ष पूरे कर लिए है और संविधान ने महिला और पुरुष को बराबरी का दर्ज़ा दिया है लेकिन महिलाओं की स्थिति अभी भी काफी हद तक सेकंड सिटिज़न जैसी ही है | शिक्षा और स्वास्थ्य दो मूलभूत ज़रूरते है जो कि एक महिला के लिए अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा स्थापित करने के लिए बहुत ज़रूरी है लेकिन विडंबना है कि भारत विश्व की तुलना में इस क्षेत्र में बहुत ही कम वार्षिक बज़ट का प्रावधान करता है | कुपोषण भी भारत में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ही ज्यादा है जिसकी वज़ह से फीमेल मोर्टेलिटी पूरे विश्व से यहाँ उच्चतम स्तर पर है | घटते सेक्स रेश्यो में एक वज़ह यह भी है कि भारत में गर्ल चाइल्ड की मिसिंग संख्या भी विश्व परिपेक्ष्य में उच्चतम स्तर पर है | हमारी महिलाओं की आर्थिक असमानता के भी कुछ मूलभूत कारण है | उनमें से समान कार्य के लिए पुरुषों की अपेक्षा कम भुगतान करना है और महिलाओं के लिए तो “ समान कार्य- समान वेतन ” तो लगभग एक सपना बन कर रह गया है | हम महिलाएं भारत की लगभग पचास प्रतिशत जनसँख्या का प्रतिनिधित्व करती है पर राजनीतिक दृष्टि से महिलाओं की प्रतिभागिता संसद और विधान सभाओं में मात्र आठ प्रतिशत है |
अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाक़ी है | शुरुआत हो चुकी है | भले ही 8 मार्च एक अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता हो पर इसकी तासीर बहुत प्रभावी है जो पूरी महिला शक्ति को विश्व मानचित्र में प्रतिस्थापित करने में सक्षम होगी | नमन है महिला शक्ति और सामर्थ्य को और मुझे गर्व है एक नारी होने पर |

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