रंजना मिश्रा
होरी खेलन आयो, सखी री देखो श्याम हठीलो
मानत न वो विनती मोरी, करत रहत मो संग बरजोरी
मोको बहुत सतायो, सखी री देखो श्याम हठीलो
सात रंगन से भर पिचकारी, धार रसीली मो पर डारी
सखियन बीच लजायो, सखी री देखो श्याम हठीलो
लाज के मारे मैं मर जाऊं, पर मुख से कुछ कह न पाऊं
मन को है अति भायो, सखी री देखो श्याम हठीलो
जपत रहत वो राधा राधा, कहत तेरे बिन मैं हूं आधा
हिय मेरो तड़पायो, सखी री देखो श्याम हठीलो
होरी खेलन आयो, सखी री देखो श्याम हठीलो
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