डॉ. अनिता जैन 'विपुला
जिन्दगी नित नए खेल दिखाती है।
रहा न कोई अभिमान यहाँ पर,
समय चक्र ही पहुंचाता जहाँ पर।
सीढ़ी चढ़ाती तो उतारती भी है,
ज़िन्दगी जीतती - हारती भी है।
जीवन को देखने का नज़रिया है,
धैर्य ने मुश्किलों को पार किया है।
जीने का दृढ़ विश्वास ही आस है,
विजय सदा संघर्षशील के पास है।
कह 'विपुला' जीवन के गलियारे हैं
ज़िन्दगी के उतार चढ़ाव ही न्यारे हैं।'
0 टिप्पणियाँ