अशोक 'आनन'
सूरत सबकी लगती काली होली के हुड़दंग में ।
छक्कों - सी सब ठोंके ताली होली के हुड़दंग में ।
छक्कों - सी सब ठोंके ताली होली के हुड़दंग में ।
अक्ल सभी ने रख दी ग़िरवी मूरख लगते सारे लोग -
ताले की अब खो गई ताली होली के हुड़दंग में ।
भांग का उन पर रंग चढ़ा है पीकर जो भी आए भांग -
बीवी भी अब लगती साली होली के हुड़दंग में ।
भाव गधों का आज बढ़ा है मिलते हैं नहीं जो ढूंढे -
देख हमें वो देते गाली होली के हुड़दंग में ।
दाल , बाफले , लड्डू का कुछ नाता ऐसा होली से -
नहीं रसोइया कोई खाली होली के हुड़दंग में ।
बैर भुलाकर गले मिले जो लगते हैं वो भाई सरीखे -
हिन्दू , मुस्लिम और अकाली होली के हुड़दंग में ।
हास्य कवि के आगे मानों;किस्मत फूटीअन्य कवि की -
जेब नहीं है अब उनका खाली होली के हुड़दंग में ।
रंग में जब भी डुबो-डुबोकर लाठी मुझको मारे बीवी -
लगता है तब यह घर कोतवाली होली के हुड़दंग में ।
ताले की अब खो गई ताली होली के हुड़दंग में ।
भांग का उन पर रंग चढ़ा है पीकर जो भी आए भांग -
बीवी भी अब लगती साली होली के हुड़दंग में ।
भाव गधों का आज बढ़ा है मिलते हैं नहीं जो ढूंढे -
देख हमें वो देते गाली होली के हुड़दंग में ।
दाल , बाफले , लड्डू का कुछ नाता ऐसा होली से -
नहीं रसोइया कोई खाली होली के हुड़दंग में ।
बैर भुलाकर गले मिले जो लगते हैं वो भाई सरीखे -
हिन्दू , मुस्लिम और अकाली होली के हुड़दंग में ।
हास्य कवि के आगे मानों;किस्मत फूटीअन्य कवि की -
जेब नहीं है अब उनका खाली होली के हुड़दंग में ।
रंग में जब भी डुबो-डुबोकर लाठी मुझको मारे बीवी -
लगता है तब यह घर कोतवाली होली के हुड़दंग में ।
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