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दिन आ रहे हैं


हमीद कानपुरी

महारत दिखाने के दिन आ रहे हैं।
शिकायत मिटाने के दिन आ रहे हैं।

वफ़ादार हमदम मिला खुश नसीबी,
ग़ज़ल गुनगुनाने के दिन आ रहे हैं।

नहीं आज नाराज़ मेरा सनम यूँ,
मेरे मुस्कुराने के दिन आ रहे हैं।

मुलाकात उनसे लगातार यारो,
नया गीत गाने के दिन आ रहे हैं।

है बेचैन दिलये सनम के बिना अब,
सनम को मनाने के दिन आ रहे हैं।

लगातार दुश्मन की यलगार है अब,
वतन को बचाने के दिन आ रहे हैं।

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