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प्रेम पथिक
(संदर्भ :- ये ग़ज़ल समर्पित है तीस वर्षीय जल यौद्धा स्व श्री पंकज चावड़ा जी को जिन्होंने क्षिप्रा में डूबने से सैकड़ों लोगों को बचाया और हाल ही में उन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर दो जाने बचाई । )
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स्व. पंकज चावड़ा
डूबने नही दिया जिसने लोगों को पानी में
वो पंकज डूब गया आज क्षिप्रा के पानी में
था कुशल तैराक और रामघाट का प्रेमी था
वो कैसे डूब गया दोनों भाई बड़ी हैरानी में
बिलख बिलख कर रो रहा है नन्हा-सा बेटा
उसके सपने डूब गए है आज गहरे पानी मे
जीते जी मर गया आज फिर बुज़ुर्ग पिता
ऐसा दुःख किसीको न मिले जिंदगानी में
किसके आगे बयां करे पत्नी दिल का दर्द
वो अभागन हो गई विधवा आज जवानी में
जो औरों के खातिर अपनी जान गवांते है
दुनिया याद करेगी उनको अमर कहानी में
हम सबकी ये जिम्मेदारी बनती है"पथिक"
मदद करें परिवार की अब हर परेशानी में
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