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युवा गायक अंकुर चतुर्वेदी की संगीत सभा का आयोजन

21 वीं सदी के साहित्यकार संस्था के बैनर तले युवा गायक एवं संगीतकार अंकुर चतुर्वेदी की संगीत सभा का आयोजन सम्पन्न हुआ।  चतुर्वेदी प्रसिद्ध गायक एवं संगीतकार शंकर महादेवन से संबंधित रहे हैं । क्लासिकल , सेमी क्लासिकल, सूफी भजन जैसी गायिकी की सभी विधाओं में सिद्ध हस्त हैं । आपने संगीत की विधिवत शिक्षा अपने प्रथम संगीत गुरु पंडित समीर भालेराव  तथा पद्मश्री उस्ताद पुरन चंद वडाली से प्राप्त की है । 
संगीत सेवा के लिए आपको कई पुरुस्कारों के साथ वर्ष 2015 में शास्त्रीय संगीत के लिए लखनऊ में संगीत नाटक एकेडमी अवार्ड से भी सम्मानित किया गया । वर्तमान में आप झांसी के दिल्ली पब्लिक स्कूल में छात्रों को संगीत की शिक्षा प्रदान कर रहे हैं । सभी रागों में सिद्धहस्त अंकुर के पसंदीदा रागों में राग यमन, सिंध भैरवी, बिहाग, देस, कौशिक ध्वनि तथा मांलकौस प्रमुख हैं ।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में संगीत सभा में सम्मिलित  अंकुर चतुर्वेदी एवं उनकी पूरी टीम का परिचय कवियित्री एवं लेखिका कार्यक्रम की मुख्य संयोजक एवं संचालक स्नेहा देव द्वारा दिया गया । अंकुर चतुर्वेदी द्वारा कार्यक्रम की शानदार शुरुआत राग नट भैरव में एक बंदिश के साथ की गई । तत्पश्चात अपनी एक से एक बेहतरीन प्रस्तुतियों से कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिए, 'सइयाँ बिना घर सूना', ठुमरी, मेरी मझधार में डोले नैया आकर बचालो कन्हैया, भजन एवं तेरा नाम लेकर जब में पुकारता, सूफी गीत भी प्रस्तुत किया गया ।
संगीत सभा के अगले क्रम में गायिका आरती यादव ने बहुत ही मधुर आवाज में ‘बोल रहा था कल वो मुझ से हाथ में मेरा हाथ लिए चलते रहेंगे दुख सुख में हम सारे मौसम साथ लिए' प्रस्तुत किया । उसके बाद चतुर्वेदी ने अहमद फ़राह साहब की एक बहुत ही उम्दा गजल ‘जिंदगी से यही गिला है मुझे, तू बहुत देर से मिला है मुझे, तथा चन्दन दास की कंपोजीशन 'तन्हा न अपने आप को अब पाइये जनाब मेरी गजल को साथ लिए जाइये जनाब', तथा 'वही पलकों का झपकना' प्रस्तुत की गई जिसने श्रोताओं का मन मोह लिया । हर एक प्रस्तुति एक से बढ़कर एक रही श्रोताओं द्वारा हरेक प्रस्तुति की मुक्त कण्ठ से सराहना की गई । सबसे अंतिम प्रस्तुति राग भैरवी में ‘ये दिल ये पागल दिल मेरा’ ग़ज़ल की सुंदर प्रस्तुति के साथ एक अविस्मरणीय संगीत सभा सम्पन्न हुई ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार राजेश कुमार द्वारा की गई । कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि लोकप्रिय साहित्यकार डॉ. लालित्य ललित थे साथ ही प्रतिष्ठित कवि एवं लेखक डॉ. संजीव कुमार कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित रहे । कार्यक्रम के संयोजकगण सर्व श्री रण विजय राव, परवेश जैन, विवेक रंजन श्रीवास्तव प्रभात गोस्वामी एवं सुश्री दीपा स्वामीनाथन, सुश्री सुनीता शानू, सुश्री सुषमा राजनिधि तथा तकनीकी सहयोग डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा का था । कार्यक्रम की सहयोगी संस्था इंडिया नेटबुक्स नोएडा थी ।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में वरिष्ठ साहित्यकार संजीव कुमार ने कहा कि हम सब आज के इस आयोजन से बहुत खुश हैं आज के इस आयोजन का विशेष श्रेय स्नेहा देव को जाता है जिनकी पहल से यह आयोजन संभव हो सका है । हमें अंकुर के संगीत के साथ साथ ही उनके जीवन से जुड़ी सुंदर बातें भी सुनने का अवसर मिला । हम सब आपको फिर बार बार सुनना चाहेंगे । आपकी गायिकी के साथ ही आपका रचनाओं का चयन भी बहुत ही श्रेष्ठ था, जिसे आपने बहुत ही सुंदर एवं बेजोड़ तरीके से प्रस्तुत किया । आपकी पूरी टीम विशेषकर आरती यादव  की प्रस्तुति सिद्धार्थ पांडे की संगत तथा अभिषेक जोशी एवं आयुष श्रीवास्तव की तबले एवं ढोलक पर संगत बहुत ही उम्दा रही । आप सभी बहुत बधाई के पात्र हैं हम पूरी टीम के प्रति ह्रदय से धन्यवाद ज्ञापित करते हैं ।
उक्त कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्यकारों एवं संगीत प्रेमियों द्वारा भागीदारी की गई। कार्यक्रम में साहित्यकार, संगीत प्रेमी सर्व श्री अरुण अर्णव खरे, मेधा झा, संतोष त्रिवेदी, कुसुम दत्ता, सूर्यकांत जी , हरीश कुमार सिंह, सुषमा व्यास, अनुष्का प्रियदर्शिनी, अलका अग्रवाल सिगतिया, अल्का खन्ना, नीलम गुप्ता, रजनीश मंगला, टीकाराम साहू, तृप्ति समियाल विशेष रूप से उपस्थित थे । संगीत की दुनिया में तेजी से उभरते 29 वर्षीय युवा गायक एवं संगीतकार चतुर्वेदी ने कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुति से समा बांध श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया । 

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