हमीद कानपुरी खुली आँख से ख़्वाब देखा करेंगे।
उन्हें हर तरह मिल के पूरा करेंगे।
सही बात कहना तो जारी रहेगा,
न बेजा मगर कोई शिकवा करेंगे।
सजाते रहेंगे सजाते रहे हैं,
चमनमें सुमन बन केमहका करेंगे।
वतन के लिए जान देंगे यक़ीनन,
वतनको कहींभी न रुसवा करेंगे।
अदू चढ़के आया जो अब सरहदों पर,
उसे बीच से चीर टुकड़ा करेंगे।
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