नमिता गुप्ता 'मनसी'
यूं तो बहुत बार समझाया , सबब अब भी वही
वो सारे प्रश्न भी वही, जवाब दो या न दो !!
भले ही न कहो, भले ही लाख चुप रहो
तुमको हर्फ-हर्फ पढ़ा, किताब हो या न हो !!
न वक्त से कहूं, कहूं तुमसे भी क्या मैं अब
हर नज़र में तुम ही हो, ख्वाब हो या न हो !!
गुजरा जो तेरे बिन,हर एक पल का क्या कहूं
इंतजार तुमको भी है, हिसाब दो या न दो !!
वश में मन न हो.. तुम भी क्या करोगे तब
कभी भी मांग लूंगी मैं..खिताब दो या न दो !!
यूं तो बहुत बार समझाया , सबब अब भी वही
वो सारे प्रश्न भी वही, जवाब दो या न दो !!
भले ही न कहो, भले ही लाख चुप रहो
तुमको हर्फ-हर्फ पढ़ा, किताब हो या न हो !!
न वक्त से कहूं, कहूं तुमसे भी क्या मैं अब
हर नज़र में तुम ही हो, ख्वाब हो या न हो !!
गुजरा जो तेरे बिन,हर एक पल का क्या कहूं
इंतजार तुमको भी है, हिसाब दो या न दो !!
वश में मन न हो.. तुम भी क्या करोगे तब
कभी भी मांग लूंगी मैं..खिताब दो या न दो !!
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