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मानसिक शान्ति

सुनील कुमार माथुर
आज हर इंसान तनावपूर्ण जीवन व्यतीत कर रहा हैं । चूंकि भले ही उसकी कोई व्यक्तिगत समस्या न हो , कोई परेशानी न हो , लेकिन वह दूसरों की प्रगति , उन्नति , सेवा विस्तार, धन सम्पदा देखकर परेशान है , चिन्तित है , हैरान परेशान है , दुखी हैं । अब वह मानसिक शांति चाहता हैं जो उसे कदापि नहीं मिल सकती । 
मानसिक परेशानी आपने स्वंय पैदा की हैं । अतः उसका समाधान भी आपको ही ढूंढना होगा चूंकि मानसिक शान्ति पाने के लिए आप भले ही किसी डाॅक्टर के पास चले जाईये वह आपको मानसिक शांति नहीं दे सकता । इस बीमारी का कोई भी टिका या दवाई नहीं है । अगर आप मानसिक शांति चाहते हैं तो अपने मन में दया , करूणा , ममता , वात्सल्य, प्रेम व विश्वास, स्नेह , भाईचारे की भावना, पीडित व दुखीजन की निस्वार्थ भाव से सेवा करना जैसे भाव लाने होंगे जब तक आप ऐसे विचारों को मन में उत्पन्न कर उनको स्वंय अमल में नहीं लायेगे तब तक मानसिक शांति हासिल करना असम्भव ही हैं । 
मानसिक शान्ति कहीं बाजार में नहीं मिलती हैं । इसे तो प्रेम व स्नेह से ही मन मे लाया जा सकता हैं । हम समाज में सुधार तभी ला सकते हैं जब पहले हम अपने मन में सकारात्मक सोच विकसित करे । सकारात्मक सोच के साथ आगें बढें तभी दूसरों को वैसा करनें की सीख दे सकते हैं । आज हम दूसरों की प्रगति देखकर दुखी हो रहे है जो उचित नहीं है ।
हर इंसान में प्रतिभा छिपी होती हैं बस जरूरत है तो उस प्रतिभाव हुनर को निखारने की । मगर हमें दूसरों की प्रगति देखकर जलन होती हैं जो उचित नहीं है । हमें हमारे मन में प्रेम , करूणा, ममता व वात्सल्य का भाव हर वक्त जगाये रखना होगा । अगर हम किसी का भला न कर सके तो कोई बात नहीं लेकिन हमें किसी का बुरा नहीं करना चाहिए । मानसिक शान्ति और कहीं नहीं है वह हमारे मन में ही हैं लेकिन हम उसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहें है ।
अगर हम किसी का भला करेंगे तभी हमें अपार शांति का अनुभव होगा । अतः प्यासे को पानी पिलायें, भूखे को भोजन करायें , पीडित , बीमार की सेवा करें , पशु-पक्षी की सेवा करें , उन्हें चारा व दाना डाले फिर देखिये कितनी मानसिक शान्ति मिलती है । अपना नजरिया बदले फिर देखिये चारों ओर शान्ति ही शान्ति है ।
हर फैसलें शांति के साथ लेने चाहिए चूंकि जल्दबाजी में लिए गये फैसलें कई बार गलत साबित होते हैं । अपनी सोच सकारात्मक रखें तो सदैव लाभ ही लाभ हैं । सभी के लिए सदैव अच्छा ही सोचे , कभी भी किसी के लिए बुरा न सोचें । हर कार्य मन लगाकर करें सफलता अवश्य ही मिलेगी । जो भी कार्य करना चाहें जरूर करें लेकिन फालतू समय कभी भी बर्बाद न करें । 
बिना मांगे कभी भी किसी को कोई भी राय न दें अन्यथा दूसरों को सीख देने के चक्कर में खुद का नुकसान कर बैठेंगे समय सदैव शुभ फल देने वाला ही होता है बस आप अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें । अपने कॅरियर के प्रति हमेशा गंभीर निर्णय लें । कभी भी अपने आत्मविश्वास में कमी नहीं आने दे । सदैव स्वस्थ रहें , मस्त रहें व व्यर्थ की चिन्ता छोड़ दें । चूंकि मानसिक शान्ति तो प्रेम , करूणा , ममता व वात्सल्य से ही प्राप्त की जा सकती हैं । 
इंसान कपडों से नहीं बनता है दिल से बनता है । मदद एक ऐसा इत्र हैं जो आप दूसरों पर जितना छिटकेगे , आप उतना ही अधिक म हकेगे । इंसान भक्ति करके शक्ति पाता हैं और फिर वह शक्ति के आधिन हो जाता है और यही से व्यक्ति का विनाश शुरू हो जाता हैं । अतः कभी भी अपनी शक्ति का दुरूपयोग न करें । हमेशा अच्छे कार्य करें । व्यक्ति को अपने जीवन में सकारात्मक सोच रखते हुए अंतिम क्षण तक कुछ न कुछ नया सीखते रहना चाहिए ताकि आने वाली पीढी आप से कुछ जानना चाहे तो आप उसे आसानी से कुछ समझा सकें ।

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