सीमा गर्ग मंजरी फूली सरसों से रंगी बहारें पीली रंगीली हैं, स्वप्न सजाये दिल में रूत मधुर सलोनी हैं! सुवासित बहारों में मुझे हँसने, उड़ने दो, मयूरी हूँ मन की मुझे पंख खोल नाचने दो!
मन में उत्ताल हिलोर उमंग तरंग भरी हैं, नीलांबर से स्वच्छंद उर से रमने विचरने दो! सागर से आसमाँ तक उमंगित लहराती हूँ, मैं कालिका कपालिनी,त्रिकाल की शक्ति हूँ!
साँसों में है दिव्य सरगम, मिश्री रस घोले, बागों में ज्यों कोयलिया सुरीले सुर कुहुके! दुर्गा लक्ष्मी सीता राधा सावित्री भी मैं ही हूँ, दुष्टों का नाश करूँगी महाशक्ति सृजने दो!
आलोकित हृदय दर्पण है, नीर सी निर्मल हूँ, पूनम के चाँद सी शोभा सुशीलता तस्वीर हूँ! खुशियों के फूल खिले कल्याणी का बाग्बीज हूँ , बदरा से बरसे रंग गुलाल शक्ति का ताबीज हूँ!
घर में कुमकुम अक्षत भरे आशीष बरसते हैं, बेटी पूजन को जिस घर दैवीय थाल सजते हैं! रोली मोली सजे मंगल चरण बेटी के पडते हैं, स्वागत में बिटिया के जहाँ मन पलक बिछते हैं!
मैं मृदुल ललित ललाम तारूण्यमयी गूँज हूँ, कोने कोने में अलौकिक दिव्यता पूर्ण पुँज हूँ! भारत का अभिमान हूँ, मैं भारत की बेटी हूँ, निज गौरव का सम्मान करूँ,आर्यों की बेटी हूँ!!
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