(राष्ट्रीय युवा दिवस विशेष - 12 जनवरी 2021)
डॉ. प्रितम भिमराव गेडाम |
देश के लिए लड़नेवाले देशभक्त, समाज कल्याण के लिए अपने प्राणों की आहुति देनेवाले महापुरुष, संत जिन्होंने समाजसेवा को ईश्वरसेवा माना, महान व्यक्तित्व जिन्होंने देश के विकास के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया, आज की अधिकांश युवापीढ़ी इन्हें अपनी आंखों के सामने एक आदर्श के रूप में नहीं देखती है। आजकल, बड़ी संख्या में युवा मोबाइल, टीवी, सोशल मीडिया, नशे की लत पर अमूल्य समय बिताते हैं, फिल्मस्टार को अपना रोल मॉडल मानते हैं और अपने माता-पिता से विचारों मे असहमत लगते हैं। ऐसी युवा पीढ़ी समाज के सामने क्या आदर्श स्थापित करेगी? यह पीढ़ी विकास के बजाय समाज में अराजकता पैदा करने के लिए जिम्मेदार होगी। यह बहुत चिंता की बात है कि आज के बच्चो मे धैर्य की कमी, शिष्टाचार की कमी, सहनशीलता की कमी, दिखावे की आदत, फिल्मों और फैशन के बुरे प्रभाव, स्वार्थ, हिंसा, अपराध, लत और अन्य गंभीर बुरी आदतें दिखाई देती हैं।
आज लोग झूठे दिखावे के आदी हो गए हैं। लोगों के पास शांति और संतोष नहीं है। हर कोई शुरुआत में प्रगति चाहता है लेकिन कोई संघर्ष नहीं करना चाहता। मनुष्य का लालच कभी समाप्त नहीं होता है, जितना अधिक वह प्राप्त करता है, उसकी इच्छाओं में वृद्धि होती है। यह हमारा व्यवहार ही है जिसने हमारे चेहरे पर मासूम मुस्कान खो दी। आपको अपनी इच्छानुसार ही जीना चाहीए, बशर्तें आपके वजह से किसी का बुरा ना हो। हम इंसान हैं, अगर हमसे कभी कोई गलती हो जाती है, हमें उसे स्वीकार करना चाहिए, उसे सुधारना चाहिए, कोई भी गलती स्वीकार करने से बड़ा-छोटा नहीं होता, बल्कि हम तो निश्चित रूप से तनावमुक्त होकर स्वाभिमान से जीते हैं, रिश्तों में सुधार करते हैं, लोगों से संबंध सुधारते हैं और आत्म-सम्मान और संतोष के साथ रहते हैं। लोगों को दोष देने से पहले, हमें अपने दोषों से छुटकारा पाने की आवश्यकता है। यदि हम स्वयं नियम तोड़ रहे हैं, तो हम लोगों को क्या ज्ञान देंगे? क्या हम विरोध करते हैं जब हमारे सामने कुछ बुरा होता है? विरोध नहीं करना अपराध के साथ सहयोग करने जैसा है। यदि आप अन्याय को शांति से सहन करते हैं, तो आप उन लोगों के समान दोषी हैं जो अन्याय करते हैं।
माता-पिता थोड़े जिम्मेदार हों :- सभी माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे दुनिया में नाम कमाएं, सभ्य और जिम्मेदार नागरिक हों लेकिन क्या माता-पिता अपने बच्चों के लिए वैसा पोषक वातावरण निर्माण कर देते हैं? सिर्फ बच्चों को महंगे संसाधन देने, ख्वाहिशे पुरी करने या उन्हें अती लाड़-प्यार करने से ही तो आपकी ज़िम्मेदारी खत्म नही होती हैं। आज बहुत से लोग झूठ, भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी करके अपने व्यवहार, व्यवसाय, कार्यस्थल या अन्य स्थानों पर काम करते हैं। यहां तक कि साथ काम करते हुए भी अपने सहयोगियों के प्रति घृणा है। नियमों की धज्जियाँ उड़ाकर जनता के साथ-साथ सरकार को भी धोखा देते हैं। ऐसे लोग यह भी नहीं जानते कि बच्चों के सामने किस तरह का व्यवहार करना चाहिए, उन्हें उम्मीद है कि उनके बच्चे दुनिया में एक मिसाल कायम करेंगे। आज, दुनिया भर में गंभीर अपराधों में भारी वृद्धि हुई है, समाज के सभी वर्गों से संबंधित किशोरवयीन अपराधी से लेकर अमीर-गरीब घरों तक के अपराधी शामिल हैं। कोई जन्मजात अपराधी नहीं होता हैं। ज़रा सोचिए, अगर समय रहते अपराधियों के माता-पिता ने उन्हें सही माहौल, अच्छी परवरिश, शिक्षा और संस्कृति दी होती, तो क्या आज दुनिया में इतने बड़े पैमाने पर अपराध होते? अब थोड़ा अपने व्यवहार के बारे में सोचें, जीवन में हमारा व्यवहार क्या सही है? हम बड़े हैं इसलिए हमें लगता है कि हम सही हैं, लेकिन क्या हम बच्चों के सामने सही आदर्श स्थापित कर रहे हैं? अगर हम गलती करते हैं, तो भी हम दूसरों को दोष देते हैं। अपनी कमियों को स्वीकार करना सीखें, सच्चाई को पहचानें। आने वाला समय बच्चों के लिए बहुत प्रतिस्पर्धी होने वाला है, इसलिए उन्हें उस स्तर पर दुनिया का सामना करने के लिए मजबूत बनाएं। बच्चों को बचपन से सिखाएं कि क्या अच्छा है और क्या बुरा, अगर बच्चे कल दुनिया में अपना अस्तित्व बनाना चाहते हैं, तो उन्हें आज संघर्ष करना सिखाएं। मनुष्य के लिए जो सबसे महत्वपूर्ण है, वह है उसका चरित्र, हमारा व्यवहार हमारे चरित्र को दर्शाता है। एक आदर्श चरित्र का निर्माण करें।
हमारे बच्चे बड़े होकर बडे पदों पर आसीन होंगे, देश की बागडोर संभालेंगे, तब वो देश कैसा होगा, यह आज हमारे हाथ में है लेकिन कल नहीं होगा, ये बच्चे कल उन पदों पर बैठकर अपनी प्रतिभा, संस्कार और बुद्धि का परिचय देकर देश का विकास करेंगे या वे स्वार्थवृत्ती से देश को नुकसान पहुंचाएंगे, यह पूरी तरह से उनके गुणों पर निर्भर करेगा। वे दुनिया में कैसे प्रतिस्पर्धा करेंगे? इसलिए आज इन बच्चों की देखभाल करना बहुत जरूरी है। यदि हम बुरे कर्म करते हैं, तो हम कभी भी आत्मसम्मान के साथ नहीं रह पाएंगे, हमारे मन में हमेशा भय रहेगा और हमारा चरित्र उसी तरह तैयार होगा।
सफल होने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति की जरूरत :- हमारा मन केवल उन नकारात्मक और बेकार विचारों से विचलित होता है जो हम खुद बनाते हैं। हमेशा सकारात्मक सोचें, बड़े लक्ष्य निर्धारित करें और उनके लिए प्रयास करें, यह दुनिया में सफल लोगों के जीवन का तरीका है। आज भी कई सक्षम लोग इतिहास रच रहे हैं। आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति में कमी के बावजूद, एक अकेला अतीसामान्य ग्रामीण व्यक्ति, जो केवल अपनी इच्छाशक्ति के बल पर लगातार 22 सालों तक छेनी और हथौड़ों की मदद से पहाड़ तोड़कर लोगो की सुविधा के लिए मार्ग बनाता है, एक बार उस महापुरुष दशरथ मांझी के बारे में सोचिए, इन 22 वर्षों में मनुष्य कितना बदल जाता है, उम्र बदल जाती है, मौसम, स्थितियाँ लगातार बदलती रहती हैं, फिर भी उस महापुरुष का लक्ष्य नहीं बदला। 53 साल की उम्र में, उन्होंने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया और असंभव को संभव बना दिया। लोग शुरू में उनके काम और लक्ष्य पर हंसे, यहां तक कि उन्हें पागल भी कहा, लेकिन इस माउंटेन मैन के हौसले और इच्छाशक्ति को कोई कम नही कर सका, आज पूरी दुनिया उन्हें केवल उनके निस्वार्थ महानकार्य के कारण जानती है। आज दुनिया इतनी उन्नत होकर भी क्या हम में ऐसी दृढ़ता और समस्याओं का सामना करने की हिम्मत नहीं है? ऐसी महान हस्तियों से हमने जीवन जीने की सीख लेनी चाहीए। जिनके पास दृढ़ इच्छाशक्ति है, वे ही दुनिया में हमारे अस्तित्व को बनाए रख सकते हैं। एक विचार लो, उस विचार को अपना जीवन बना लो, उसके बारे में सोचो, उसके बारे में सपने देखो, उस विचार को जियो। अपने मस्तिष्क, मांसपेशियों, नसों, अपने शरीर के हर हिस्से को उस विचार में डूब जाने दें, और अन्य सभी विचारों को एक तरफ रख दें। यही सफल होने का तरीका है।
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