नादाँ दिल आँखों में फिर सावन लेकर बैठ गया।।
कैसे रहता होगा मुझबिन ,आखिर क्या करता होगा,
दुनियाभर की बेचैनी और उलझन लेकर बैठ गया।।
आँखों में सूनापन लेकर कैसा वह दिखता होगा,
यही सोचकर आज सुबह से दर्पण लेकर बैठ गया ।।
तडप रहा होगा वह भी मुझसे मिलने की खातिर,
उसकी चाहत,हसरत,उलझन तड़पन लेकर बैठ गया।।
इकरोज वो आया था घर पर,और आँगन में बैठा था,
तब से अपने हिस्से में ये आँगन लेकर बैठ गया ।।
सुना है जबसे वापस अपने शहर वो आने वाला है,
बिंदी ,पायल, झुमका, चूड़ी, कंगन लेकर बैठ गया ।।
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