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नववर्ष मंगलमय रहे


रमाकान्त चौधरी

न किसी का डर तुम्हे हो, न किसी का भय रहे |
शत्रुओं की भी जुबां पर , बस  तुम्हारी जय रहे |
हों  अधूरे  स्वप्न  पूरे, पिछले  बरस जो रह गए,
प्रफुल्लित तुम्हारा मन सदा हो,नववर्ष मंगलमय रहे |
 
छोडकर दुश्वारियां, कुछ  करने की तुम ठान लो,
मंजिल  तुम्हारे सामने है, तुम  उसे पहचान लो|
मुश्किलें  कितनी बड़ी हों, तुमसे  वो छोटी रहेंगी,
जीत बस होगी तुम्हारी, इतना अगर तुम मान लो |
नज़रें रहें बस लक्ष्य पर,  मन में दृढ़ निश्चय रहे|
न किसी का डर तुम्हे हो, न  किसी का भय रहे |
 
अपनों का ह्रदय कभी तुम, स्वपन में भी मत दुखाना,
हो चाहे  बात कोई, हरगिज़  उन्हें  तुम  न सताना |
भूल  करके भूल जाना, अपनों  की  हरेक  भूल को,
जब कभी  भी  हो जरुरत, हाथ  अपना तुम बढ़ाना |
मन  में  न हो  छल कपट, न  कोई अभिनय रहे |
न  किसी  का डर तुम्हे हो, न  किसी का भय रहे |
 
दुनिया बदलती ही रहेगी, बदलना प्रकृति का नियम है,
वक्त  के  हाथों  भला, किसने  नहीं  झेला सितम है|
उम्रभर  का  साथ  जग में, कौन  किसका  दे  पाया,
दो  कदम  भी साथ चले , इतना  भला क्या कम है|
जलता रहे दीपक प्रीति का, रोशन जहाँ जगमग रहे |
न  किसी  का डर  तुम्हे हो, न किसी का भय रहे |

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