हास्य और व्यंग्य जीवन का अनिवार्य तत्व है- कुलपति डॉ. अखिलेशकुमार पांडेय
उज्जैन। त्रासदी काल में इस व्यंग्य संकलन का प्रकाशन उल्लेखनीय घटना है क्योंकि हास्य और व्यंग्य जीवन का अनिवार्य तत्व है और मानसिक अवसाद के प्रकरण सामने आ रहे हैं और ऐसे में आनन्द सूचकांक भी नीचे आ रहा आनन्द सूचकांक नई शिक्षा नीति का भी महत्वपूर्ण विषय है।व्यंग्य में यह जरूरी है कि व्यंग्यकार अपनी बात कह भी दे और किसी को बुरा भी न लगे । यह बात विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति डा अखिलेश कुमार पांडेय ने मध्यप्रदेश लेखक संघ के तत्वावधान में इंडिया नेट बुक्स द्वारा प्रकाशित देश के पचहत्तर व्यंग्यकारोँ का व्यंग्य संग्रह 'अब तक 75' का लोकार्पण करते हुए कही।
11 अक्टूबर को उज्जैन के होटल सुराना पैलेस पर आयोजित समारोह में अध्यक्षीय उद्धबोधन देते हुए प्रो. हरिमोहन बुधौलिया ने कहा कि व्यंग्य लेखन एक साधना है और उज्जैन के शिव शर्मा जी देश के प्रमुख व्यंग्यकार रहे और यह संकलन , शिव जी को समर्पित कर मालवा की व्यंग्य परम्परा का सम्मान है।सारस्वत अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक डॉ शैलेन्द्र शर्मा ने कहा कि 'अब तक 75 ' संकलन के जरिए व्यंग्य की एक मुकम्मिल तस्वीर सामने आई। कोरोनाकाल की यह विश्व की व्यंग्य के क्षेत्र, व्यंग्य विधा में यह पहली कृति है जिसका स्वागत किया जाना चाहिए। व्यंग्य विधा का उज्जैन में स्वर्णिम इतिहास रहा है और अनादि काल से व्यंग्य की समृद्ध परम्परा रही है। पंडित सूर्यनारायण व्यास , डॉ शिव शर्मा से लेकर अब तक व्यंग्य की गतिशीलता बनी रही है और यह संकलन शिव जी को सही समर्पितं किया गया है क्योंकि शिव जी की रचनाएं मालवा का मैला आँचल है। अधिकांश रचनाएँ कोरोना की विभीषिका से उपजी होकर समकालीनता का बोध कराती हैं।
विशेष अतिथि श्री लालित्य ललित जी ने कहा कि अब तक 75 कि रचनाओं में विषय का वैविध्य है और देश भर के प्रख्यात व्यंग्यकारों को इसमें सम्मिलित किया गया है। मालवा की भूमि देवभूमि के साथ व्यंग्यकारोँ,साहित्यकारों की भूमि भी है और उज्जैन ने हमें पुस्तक मेले के जरिये साठ लेखक दिए।स्वागत भाषण देते हुए सचिव श्री देवेंद्र जोशी ने कहा कि इस संकलन के जरिये संपादक द्वय ने देश के व्यंग्यकारोँ को जोड़ने का कार्य किया है। उज्जैन व्यंग्य की धरा रही है और उसी परम्परा को आगे यह संकलन बढ़ाता है। यह संकलन प्रख्यात व्यंग्यकार डॉ शिव शर्मा को समर्पित है ।
इंडिया नेटबुक्स के निदेशक संजीव कुमार जी ने कहा कि उज्जैन व्यंग्यनगरी है और मालवा के व्यंग्यकारों पर भी संकलन आना आज की आवश्यकता है। व्यंग्यकार रणविजय राव ने कहा कि लॉकडाउन के समय में यह संकलन लेखकीय रचनात्मकता का एक श्रेष्ठ उदाहरण है। सरस्वती वंदना सीमा जोशी ने प्रस्तुत की। अतिथियों ने दीप आलोकन कर लोकार्पण प्रसंग का शुभारंभ किया।स्वागत देवेंद्र जोशी , हरीशकुमार सिंह , संजय जोशी सजग , संदीप सृजन , डॉ अभिलाषा शर्मा , डॉ उर्मि शर्मा , पुष्पा चौरसिया आदि ने किया।अतिथियों को स्मृति चिन्ह इंडिया नेटबुक्स की सीईओ डॉ मनोरमा और निदेशक कामिनी मिश्रा ने प्रदान किया। आयोजन में संपादक श्री श्रीराम दवे , संतोष सुपेकर , राजेश रावल , सुरेंद्र सर्किट आदि उपस्थित थे। संचालन दिनेश दिग्गज ने और आभार पिलकेन्द्र अरोरा ने व्यक्त किया।
इस संकलन में उज्जैन शहर के व्यंग्यकार डा पिलकेन्द्र अरोरा , डा देवेंद्र जोशी , संदीप सृजन , राजेन्द्र नागर और डा हरीशकुमार सिंह सम्मिलित हैं | रतलाम से आशीष दशोत्तर , संजय जोशी सजग , इंदौर से मृदुल कश्यप , जवाहर चौधरी , मुकेश राठौर , सुषमा व्यास राजनिधि आदि सम्मिलित हैं | देश के अन्य व्यंग्यकारों में अनिला चड़क, अजय अनुरागी ,अजय जोशी ,अतुल चतुर्वेदी ,अनिता यादव ,अनुराग वाजपेयी ,अमित श्रीवास्तव ,अरविंद तिवारी ,अरुण अर्णव खरे , अलका अग्रवाल ,अशोक अग्रोही, अशोक व्यास ,आत्माराम भाटी, आशीष दशोत्तर, कमलेश पांडे ,कुन्दनसिंह परिहार ,के पी सक्सेना दूसरे , गुरमीत बेदी ,चंद्रकांता ,जयप्रकाश पांडे ,जवाहर चौधरी ,टीकाराम साहू ,दिलीप तेतरबे , दीपा गुप्ता ,देवकिशन पुरोहित ,डा देवेंद्र जोशी ,निर्मल गुप्त ,नीरज दहिया , डा पिलकेन्द्र अरोरा , प्रभात गोस्वामी , प्रमोद तांबट, डा प्रेम जनमेजय , प्रेम विज, बलदेव त्रिपाठी , बुलाकी शर्मा , भरत चंदानी ,मलय जैन , मीना अरोरा ,मुकेश नेमा ,मुकेश राठौर ,मृदुल कश्यप , रणविजय राव ,रत्न जेसवानी , रमाकांत ताम्रकार , रमेश सैनी , रवि शर्मा ,रश्मि चौधरी ,राकेश अचल ,राजशेखर चौबे , राजेन्द्र नागर , राजेश कुमार , रामविलास जांगिड़, लालित्य ललित , वर्षा रावल , विवेकरंजन श्रीवास्तव , वीना सिंह, वेद माथुर , वेदप्रकाश भारद्वाज , शरद उपाध्याय, श्यामसखा श्याम , संजय जोशी , संजय पुरोहित , संजीव निगम , संदीप सृजन , समीक्षा तेलंग, सुदर्शन वशिष्ठ , सुधीर केवलिया , सुनीता शानू , सुनील सक्सेना , सुषमा व्यास राजनिधि , सूरत ठाकुर , स्वाति श्वेता , हनुमान मुक्त , डा हरीश नवल और डा हरीशकुमार सिंह सम्मिलित हैं | इस संग्रह के आवरण को प्रख्यात चित्रकार व व्यंग्यकार पारुल तोमर ने बनाया है।
अपने विचार/रचना आप भी हमें मेल कर सकते है- shabdpravah.ujjain@gmail.com पर।
साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/रचनाएँ/समाचार अब हमारे वेब पोर्टल शाश्वत सृजन पर देखे- http://shashwatsrijan.com
यूटूयुब चैनल देखें और सब्सक्राइब करे- https://www.youtube.com/channel/UCpRyX9VM7WEY39QytlBjZiw
0 टिप्पणियाँ